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ब्लैकबेरी ने मिटाई भारत की सुरक्षा चिंता

२ अक्टूबर २०१०

ब्लैकबेरी बनाने वाली कंपनी रिसर्च इन मोशन ने भारत सरकार को मैसेंजर सेवा की जानकारी देनी शुरू कर दी है. फिलहाल ये जानकारी मैनुअल तरीके से दी जा रही है. पहली जनवरी से जानकारियां ऑटोमेटेड तरीके से दी जाने लगेगी.

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तस्वीर: DPA

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब ब्लैकबेरी के संदेशों पर निगाह रख सकती हैं. हालांकि अभी मैनुअल तरीका होने के कारण संदेशों को भेजने के कुछ देर बाद ही जानकारी मिल पाती है. कंपनी की तरफ से संदेशों की जानकारी कागज पर छाप कर भेजी जाती है. ये सब करने में चार से पांच घंटे लग जाते हैं. 1 जनवरी से जब ऑटोमेटेड सेवा शुरू हो जाएगी तब रियल टाइम में संदेशों को देखा जा सकेगा. भारत ने रिम से ईमेल के बारे में भी जानकारी देने को कहा है.

Blackberry
तस्वीर: dpa

ब्लैकबेरी से सुरक्षा को खतरे का अंदेशा जताते हुए उसे ये जानकारियां देने पर विवश किया गया है. रिम को भारत सरकार ने जानकारी देने का इंतजाम करने के लिए 60 दिन की मोहलत दी है. हालांकि रिम के तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है लेकिन भारत के गृह सचिव जी के पिल्लई ने बताया "मैसेंजर सेवा की मैनुअल जानकारी मिलने लगी है और उम्मीद है कि 1 जनवरी से ऑटोमेटेड तरीके से जानकारी भी मिलने लगेगी"

इससे पहले रिम ने कहा था कि वो भारत सरकार के लगातार संपर्क में है और उसे उम्मीद है कि जल्दी ही कोई उचित हल निकाल लिया जाएगा. कंपनी का ये भी कहना है कि वो अपने कॉर्पोरेट ग्राहकों के संदेशों की सुरक्षा तंत्र को नहीं तोड़ना चाहती. इससे पहले सउदी अरब में भी कंपनी को इसी तरह की स्थिती का सामना करना पड़ा था.

जानकारों का मानना है कि संदेशों की जानकारी देना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए कंपनी को ईमेल के नेटवर्क में घुसना होगा जो मुमकिन नहीं है. रिम ने इस बात से भी इंकार किया है कि उसने कुछ देशों को यूनिक वायरलेस सर्विस का कोड दिया है. आमतौर पर कंपनियां संदेशों की जानकारी सरकारों को मुहैया कराती हैं लेकिन ब्लैकबेरी का नेटवर्क इस तरह का है जिसमें घुसना बेहद मुश्किल है. यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां इसे एक बड़ा खतरा मानती हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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