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ब्लैक जीरो या यूरोप

आंद्रेयास बेकर१० अक्टूबर २०१४

जर्मनी के प्रमुख अर्थशास्त्री भी अब देश में मंदी के संकेत देख रहे हैं. वे जर्मन सरकार की आलोचना में कोई झिझक नहीं दिखा रहे. डॉयचे वेले के आंद्रेयास बेकर का कहना है कि इटली और फ्रांस में इससे खुशी की लहर होगी.

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वोल्फगांग शॉएब्लेतस्वीर: Reuters/J. Roberts

जर्मनी के आर्थिक विकास की दर धुंधली पड़ रही है. देश के प्रमुख आर्थिक शोध संस्थानों ने आर्थिक विकास की अपनी भविष्यवाणी बदलकर कम कर दी है. अब वे इस साल सिर्फ 1.3 और अगले साल 1.2 प्रतिशत विकासदर की बात कर रहे हैं. यह बुरी खबरों की लंबी सूची में सबसे ताजा खबर है. पहले निर्यात में भारी कमी आई, उद्योग को मिले ऑर्डरों और प्रोडक्शन में कमी हुई, इतनी जितनी 2009 के वित्तीय संकट के बाद से नहीं हुई थी. खासतौर पर प्रभावित है जर्मन अर्थव्यवस्था की जान मशीनरी और संयंत्र निर्माण.

सिर्फ बचत का आइडिया

इसी हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक नए वैश्विक संकट की चेतावनी दी है और वैश्विक तथा जर्मनी के आर्थिक विकास की संभावित विकास दर गिरा दी है. जर्मन उद्यमों के अधिकारियों, शेयर बाजारों और परिवारों के माहौल को नापने वाला विकास बैरोमीटर कई महीनों से ढलान पर था. अब तक जर्मन सरकार कमजोर विकास के संकेत मिलने पर यूरोपीय पड़ोसियों से बचत और आर्थिक सुधारों की मांग करती थी. फ्रांस और इटली की सरकार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का संदेश है कि जर्मन मिसाल पर चलो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.

Andreas Becker, DW-Wirtschaftsredaktion
आंद्रेयास बेकरतस्वीर: DW/Matthias Müller

लेकिन बुरी खबरों का सिलसिला दिखाता है कि निर्यात पर निर्भर जर्मन अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हो सकता यदि यूरोपीय पड़ोसियों की हालत खराब हो. आखिर वही जर्मनी से होने वाले निर्यात का दो तिहाई हिस्सा खरीदते हैं. चीन और ब्राजील जैसे बाजारों में अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है. उसके लिए जर्मन सरकार कुछ नहीं कर सकती. लेकिन यूरोप के आर्थक संकट में वह जरूर कुछ कर सकती है. पर ऐसा नहीं लगता कि वह कुछ करना चाहती है.

सचमुच के एकजुटता वाले समाधानों का मैर्केल हमेशा विरोध करती रही हैं, साझा सरकारी बॉन्ड यूरो बॉन्ड से लेकर बैंक यूनियन के तहत बचत की साझा सुरक्षा तक. बचत नीति में ढील की इटली और फ्रांस की मांग को उन्होंने उसी तरह ठुकरा दिया है जिस तरह जर्मनी में फिर से ज्यादा निवेश की मांग को. हालांकि ठांचागत संरचना और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की फौरन जरूरत है. 1990 के दशक के शुरू में निजी और सरकारी निवेश जर्मनी के आर्थिक प्रदर्शन का एक चौथाई हुआ करता था. इस बीच यह हिस्सा गिरकर सिर्फ 17 प्रतिशत रह गया है.

ब्लैक जीरो या यूरोप

इसके बावजूद वित्त मंत्री शॉएब्ले अपने पसंदीदा प्रोजेक्ट संतुलित बजट पर अड़े हैं, तथाकथित ब्लैक जीरो. यह यूरोपीय पड़ोसियों को दिखाने का उनका तरीका है कि उन्हें जर्मनी की मिसाल लेनी चाहिए. आर्थिक विकास पर शोध करने वालों ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इसके लिए स्पष्ट शब्दों का इस्तेमाल किया है. ब्लैक जीरो सम्मान का प्रोजेक्ट है, जिसकी आर्थिक रूप से फिलहाल जरूरत नहीं है. फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद को ये बातें अच्छी लगी होंगी.

इसके विपरीत शॉएब्ले नीति में बदलाव को बेवकूफी बताते हैं. नए कर्ज पर सवाल उठाने की जरूरत है, लेकिन फिर भी संकट के संकेत को नजरअंदाज करना और बचत की नीति को जारी रखने की जिद करना गलत है. आर्थिक ठहराव के साल, यूरोपीय संघ में 2.6 करोड़ बेरोजगार, कमजोर होती सामाजिक कल्याण व्यवस्था और राष्ट्रवादी पार्टियों का मजबूत होना संयम के सिद्धांत से पीछे हटने की पर्याप्त वजह होनी चाहिए.