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भविष्यवाणी करने वाले ऑक्टोपस को आजाद करो: पेटा

६ जुलाई २०१०

वर्ल्ड कप के मैचों की सही भविष्यवाणी करके चर्चा में आया ऑक्टोपस अब विवाद का केंद्र बन गया है. जर्मनी के वन्य जीव संरक्षणवादियों ने ऑक्टोपस को तुरंत आजाद करने की मांग की है. उनका कहना है कि कैद में पॉल मर भी सकता है.

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तस्वीर: AP

जर्मनी के ओबरहाउजन शहर में कांच के एक एक्वेरियम में कैद पॉल जर्मनी के मैचों से पहले हार जीत की भविष्यवाणी कर रहा है. अब तक पॉल की हर भविष्यवाणी सच साबित हुई है. दरअसल जर्मनी के मैचों से पहले पॉल के सामने कांच के दो डिब्बे रखे जाते हैं. एक डिब्बे में जर्मनी और दूसरे में विपक्षी टीम का झंडा चिपका रहता है. पॉल जिस देश के डिब्बे के ऊपर बैठता है, उसकी जीत तय मानी जाती है. अब तक पॉल के सभी करतब सच भी साबित हुए हैं.

पॉल ने इंग्लैंड और अर्जेंटीना के खिलाफ जर्मनी के जीत की भविष्यवाणी की थी, जो सच साबित हुई. उसने यह भी बताया था कि जर्मनी को सर्बिया हराएगा, वही हुआ भी. जर्मनी के पांचों मैचों की उसने सही भविष्यवाणी की है. लेकिन अब सेमीफाइनल में जर्मनी का मुकाबला स्पेन से है. इंटरनेट पर जारी कुछ तस्वीरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पॉल ने स्पेन की जीत के संकेत दिए हैं. लेकिन एक पक्ष का यह भी कहना है कि स्पेन के कुछ हैकरों ने पुरानी तस्वीरों में छेड़छाड़ करके यह फोटो रिलीज किए हैं.

WM Südafrika 2010 Deutschland vs Argentinien Flash-Galerie
जर्मनी के मैचों की भविष्यवाणी सही साबित हुईतस्वीर: AP

वर्ल्ड कप से पहले पॉल को ब्रिटेन से जर्मनी लाया गया. इस बीच जर्मनी में वन्य जीव संरक्षण की अहम संस्था पेटा ने एक बयान जारी कर पॉल को फौरन आजाद करने को कहा है. बयान में कहा गया है, ''अर्जेंटीना के खिलाफ जर्मनी की जीत पर सभी प्रशंसक जश्न मना रहे हैं, लिहाजा पॉल को भी जश्न मनाने का मौका दिया जाना चाहिए. उसे आजाद कर देना चाहिए. हमें लगता है कि एक छोटे से एक्वेरियम में कैद पॉल समंदर में ज्यादा बढ़िया महसूस करेगा.''

पेटा का कहना है कि सिर्फ भविष्यवाणी या एक तरह के मनोरंजन के चक्कर में पॉल की जान भी जा सकती है. पेटा अधिकारियों के मुताबिक ऑक्टोपस एक बेहद संवेदनशील जन्तु है, जिसे बेवजह परेशान किया जा रहा है. वैज्ञानिक और पेटा के अधिकारी पॉल की भविष्यवाणी को सिर्फ इत्तेफाक मानते हैं. उनका कहना है कि ऑक्टोपस का किसी एक डिब्बे पर बैठना सिर्फ संयोग है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल