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भारतीय गेंदबाजों की तारीफ

४ अगस्त २०१०

श्रीलंका के सहायक कोच स्टुअर्ट लॉ ने भारतीय गेंदबाजों की तारीफ की और कहा कि वे सफलता के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. टेस्ट सीरीज के तीसरे मैच में श्रीलंका के 4 विकेट पर 293 रन.

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तस्वीर: AP

लॉ ने कहा, "जिस तरह से इशांत और अभिमन्यु मिथुन ने गेंदे फेंकी, उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया. उन्होंने कोशिश जारी रखी है और पूरी सीरीज की जिम्मेदारी खुद ली. मैचों के बीच ज्यादा आराम का समय नहीं था. इसलिए थकान हो सकती है. मैं सोचता हूं कि जितनी अच्छी बॉलिंग उन्होंने की उतना फल उन्हें नहीं मिला."

हालांकि लॉ ने कहा कि श्रीलंका की बॉलिंग लाइन ज्यादा संतुलित है. "बीस विकेट लेने के लिए हमारी टीम एकदम ठीक है. ये गॉल जैसा ही कॉम्बिनेशन है. उस टेस्ट से दो स्पिनर अलग हैं."

भारत और श्रीलंका के बीच चल रहे टेस्ट सीरीज का तीसरा मैच मंगलवार को शुरू हुआ. श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों ने चार विकट खोकर टेस्ट के पहले दिन 293 रन बना लिए हैं.

स्पिन बॉलर प्रज्ञान ओझा ने चार में से दो विकट लिए. सबसे पहले श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा ओझा की गेंद का शिकार बने और और अपनी तीसरी सेंचुरी से वंचित रहे. लेकिन तिलकरत्ने दिलशान के साथ उन्होंने 87 रनों का योगदान दिया. दिलशान ने 41 रन, थिलान समरवीरा ने 65 और एंजेलो मैथ्यूज ने 26 रन बनाए. मैच भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के लिए भी यादगार रहा. 168 टेस्ट खेलने के बाद वे दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाले क्रिकेटर बन गए हैं.

भारत के गेंदबाज शुरू में ही श्रीलंका के दो बल्लेबाज़ों को बाहर करने में कामयाब रहे. जहां धोनी और इशांत शर्मा ने मिलकर ओपनर पनरविताना को रन आउट किया वहीं ओझा ने संगकारा और जयवर्धने को वापस भेज दिया. दिलशान रन आउट हुए. वे ओझा की गेंद को मारने में कामयाब तो रहे लेकिन उन्होंने विजय को गंभीरता से न लेकर क्रीज छोड़ दिया और विजय ने गेंद पकड़ धोनी की ओर फैंक दिया जिन्होंने दिलशान को रन आउट कर दिया.

परणवितना के बाहर जाने के लगभग तुरंत बाद भारत को एक और विकेट लेने का मौका मिला लेकिन मिथुन की गेंद पर संगकारा के कैच को रैना पकड़ नहीं पाए. इसके बाद जैसे श्रीलंका ने अपनी पारी संभाल ली और संगकारा ने अमित मिश्रा की गेंद पर एक छक्का और एक चौका दागा. लंचटाइम के बाद संगकारा 114 गेंदों के बाद ओझा की बोलिंग का शिकार बने और वीरेंद्र सहवाग ने उन्हें कैच आउट कर दिया. जयवर्धने के खेल से उम्मीदें कई हदे पार कर रही थीं लेकिन ओझा का जादू एक बार फिर चला और उन्हें वापस पैविलियन का रुख करना पड़ा.

रिपोर्टःपीटीआई/एम गोपालकृष्णन

संपादनः आभा एम