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भारतीय डॉक्टर को ऑस्ट्रेलिया में 7 साल की क़ैद

१ जुलाई २०१०

भारतीय मूल के डॉक्टर जयंत पटेल को आस्ट्रेलिया की एक अदालत ने तीन मरीजों की मौत के मामले में दोषी पाया है. ब्रिसबेन सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जान बायर्न ने उन्हें सात साल कैद की सजा सुनाई है.

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डा. जयंत पटेलतस्वीर: AP

डॉक्टर डेथ कहलाने वाले 60 वर्षीय पटेल को जूरी ने सात दिन की मंत्रणा के बाद हर मामले में सात साल और शरीर को असह्य पीड़ा पहुंचाने के आरोप में तीन साल की कैद की सजा सुनाई. दोनों सजाएं साथ चलेंगी. क्वींसलैंड के कानून के मुताबिक कोई भी कैदी अपनी सजा का 50 फीसदी भाग पूरा करने के बाद पेरोल के लिए आवेदन दे सकता है.

सज़ा की घोषणा करते हुए न्यायमूर्ति बायर्न ने कहा, "जूरी के फ़ैसले के मुताबिक आपके अपराध की गंभीरता और चार मरीज़ों के कल्याण के लिए आपकी बार-बार गंभीर उदासीनता से इंकार नहीं किया जा सकता."

इसके पहले अभियोजन पक्ष ने जूरी से पटेल को कम से कम 10 साल कैद की सज़ा देने की अपील की थी. उस पर वर्ष 2003 से 2005 के बीच बुंडाबर्ग के अस्पताल में तीन मरीजों को मारने का आरोप है. इस दौरान वह बुंडाबर्ग बेस अस्पताल में सर्जरी विभाग का प्रमुख था.

भारत में पैदा हुए और अमेरिकी में प्रशिक्षित पटेल ने जेम्स फ़िलिप्स,46, जेरी केम्प्स,77, और मेरविन मॉरिस,75, की हत्या के आरोपों को नकार दिया था. उनकी ऑपरेशन के बाद मौत हो गई थी. उसने इयेन वाउल्स को शारीरिक क्षति पहुंचाने के आरोप से भी इंकार किया जिसकी स्वस्थ अंतड़ी एक ऑपरेशन के दौरान निकाल दी गई थी.

सरकारी वकील रॉस मार्टिन ने कहा कि पटेल का अमेरिका में भी पेशेवर दुराचार का इतिहास रहा है. अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि पटेल के ऑपरेशन करने के फ़ैसले के बिना फ़िलिप्स, केम्प्स और मॉरिस की मौत नहीं हुई होती. सरकारी वकील ने ऑपरेशन को "ख़तरनाक, अनावश्यक और अनुपयुक्त" बताया.

पटेल के वकील माइकल बायर्न ने जूरी से कहा कि उसके मुवक्किल ने मरीज़ों के हित में ऑपरेशन किया. हर ऑपरेशन मरीज़ों की सहमति से किया गया. बायर्न ने अपने मुवक्किल के लिए चार से पांच साल की सजा की मांग की और कहा कि उसकी सजा को थोड़े समय के बाद निरस्त कर दिया जाना चाहिए. मुकदमे की सुनवाई 53 दिनों तक चली और इस दौरान 76 लोगों ने गवाही दी.

पटेल के मामले ने पूरे ऑस्ट्रेलिया में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. जानलेवा ऑपरेशन की निंदा हुई है तो रूरल डॉक्टर्स ऐसोसिएशन ऑफ क्वींसलैंड ने चेतावनी दी है कि इस मुकदमे के बाद प्रदेश में डॉक्टरों को आकर्षित करना मुश्किल होगा. संगठन का कहना है कि प्रदेश में लगभग 50 फीसदी डॉक्टर विदेशी हैं और उन पर अतिरिक्त जांच बैठाना डॉक्टरों को दूसरे स्थानों पर भेज सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य