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भारतीय बाजार में बढ़ती विदेशी पैंठ

१ फ़रवरी २०११

बरसों बरस हमसे रेडियो के माध्यम से जुड़े रहे हमारे श्रोता अब वेबसाइट पर दी गई सामग्री का भरपूर लुत्फ उठाने लगे हैं. कई लेख उन्हें बेहद पसंद आए हैं और उन पर उन्होंने अपनी राय भी भेजी हैं. लेकिन कुछ लोग अब तक दुखी भी हैं.

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तस्वीर: dpa

लाइफस्टाइल के भरोसे कॉफी का चेनः स्टारबक्स भारतीय बाजार में पहुंच रहा है, यह सचमुच भारत के बड़े बाजार में विदेशी चीजों की मध्यमवर्ग में बढ़ती मांग को दर्शाता है. सबकी नजर यहां के मध्यमवर्गीय युवाओं पर है जो आंख बंद कर भौतिकवाद की तरफ दौड़ रहे हैं. चाहे कीमत कितनी भी हो उन्हें फर्क नहीं पड़ता और पश्चिमी देश इससे लाभ उठा रहे हैं. दस रुपये की चाय-कॉफी, भारत के गली नुक्कड़ के छोटे चाय स्टाल से लेकर बड़े बड़े कैफे तक बिकती है और लोग पीते भी है. पीने वाले इसके लिए 50 रूपये भी देते हैं, तो 75 रुपये की स्टारबक्स की कॉफी लोग क्यों नहीं पीएंगे. इसमें स्टारबक्स को चिंता करने की जरुरत नहीं है. फिर स्टारबक्स के साथ टाटा की गारंटी है, इसलिए लाभ ही लाभ है. भारत में विदेशों की जीरो टैक्नोजी का अच्छा बाजार है और वेस्टर्न कंपनियां इससे खूब कमा रही है और हमारे पैसे को अपने यहां ले जा रही हैं और हम चुप चाप स्वेच्छा से उनका सहयोग कर रहे है. हमें कब अक्ल आएगी, भगवान जाने. जब तक हमें अक्ल आएगी सब कुछ लुट चुका होगा और हम केवल देख रहें होंगे, हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं बचेगा हमारे पास.

एस.बी.शर्मा, जमशेदपुर (झारखण्ड)

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आपका प्रसारण 25 वर्षों तक लगातार सुना तो एक भावनात्मक लगाव हो गया. लेकिन पने हमसे नाता तोड़ लिया. अब रात को 8.30 बजे रेडियो चलाने को मन करता है तो डीडब्ल्यू को ना पाकर अफसोस होता है. आपसे अनुरोध है कि रेडियो पर पुनः अपना प्रसारण शुरू कीजिए. इस अनुरोध पर गंभीरता से विचार कीजिएगा.

उमेश कुमार शर्मा, स्टार लिस्नर्स क्लब, नारनौल (हरियाणा)

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वॉइस ऑफ अमेरिका हिंदी और डॉयचे वेले हिंदी के बाद आखिर वही हुआ जिसकी संभावना पहले से ही थी. बीबीसी के इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ जायगा और मार्च के बाद बीबीसी की आवाजें एक अविस्मरणीय याद बनकर रह जाएंगी. जो भी हो रहा है वह बेहद बुरा है. आज के लिए, कल के लिए और शायद सदा के लिए...

डॉ. हेमंत कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, भागलपुर (बिहार)

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बच्चों और मां में बढता उम्र का फासलाः मैं आपके हर कार्यक्रम को बड़े ध्यान से सुनता हूं. सभी बहुत ज्ञानवर्धक और जानकारीपूर्ण होते हैं.

रिजवान अहमद, ईमेल से

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कर्स्टन नहीं बनेंगे दक्षिण अफ्रीका के कोचः मैं चाहता हूं की भारतीय टीम कर्स्टन के मार्गदर्शन में विश्व कप जीते. गैरी कर्स्टन एक प्रतिभावान कोच हैं. मैंने उनकी क्रिकेट जीवन प्रोफाइल देखी हैं और आशा करता हूं कि वे इस कोच पोस्ट को जारी रखें. भगवान भारतीय टीम की रक्षा करे.

सोहन कुमार, ईमेल से

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अब मंत्रमुग्ध होने की बारी देवताओं की हैः आपकी वेबसाइट पहली बार देखी है. अच्छी खबरें हैं. पण्डित जोशी को बॉलीवुड की श्रद्धांजलि पढा. सभी ने अपने अलग अलग विचार लिखे हैं.

अनिल कुमार द्विवेदी, ईमेल से

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फोन करने वाला आईनाः खोज के नवीनतम अंक मेंविशिष्ट आइने और फर्नीचर के बारे में रोचक जानकारी मिली. क्या मनुष्य को इतनी सुख सुविधाएं प्रदान कर विज्ञान उसके स्वास्थ्य को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है? लगता है एक दिन ऐसा भी आएगा जब मनुष्य को किसी भी काम के लिए शरीर हिलाने की भी जरूरत नहीं रहेगी.

प्रमोद महेश्वरी, फतेहपुर-शेखावाटी (राजस्थान) ईमेल से

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ओबामा के दौरे से भारत को क्या मिलाः कोई भी देश जो आज तक सिर्फ अमेरिका के सामने हाथ फैलाने के लिए जाना जाता था आज उसी अमेरिका को हाथ फैलाने पर हमने उनकी झोली भर दी ताकि सारी दुनिया जान जाए कि अब हम उनके रहमों कर्म पर नहीं है, बल्कि अब हमारा कंधा भी उनके बराबर का है. यह कहना चाहिए कि अब हम महाशक्तियों की भी रोटी दाल की जरूरत पूरी करने में सक्षम हैं. शायद इसी कारण अब हम तीसरी महाशक्ति के रूप में जाने जाते हैं.

अनिल कुमार, ईमेल से

संकलनः विनोद चढ्डा

संपादनः ए कुमार

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