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भारतीय बीड़ी अमेरिका में बैन

२७ फ़रवरी २०१४

अमेरिका ने एक भारतीय कंपनी की बीड़ियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी एफडीए द्वारा किसी तंबाकू उत्पाद के खिलाफ उठाया गया यह अब तक का सबसे सख्त कदम है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

तेंदू के पत्तों में तंबाकू भर हाथ से गोल करके बनाई जाने वाली बीड़ियां कई फ्लेवरों में आती हैं. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार बीड़ी में निकोटीन, टार और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा साधारण सिगरेट से कहीं ज्यादा है. जश इंटरनेश्नल नाम की भारतीय कंपनी की चार तरह की बीड़ियों पर अमेरिकी सरकारी एजेंसी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रतिबंध लगा दिया है.

प्रतिबंध के पीछे कारण बताया जा रहा है कि बाजार में मौजूद अन्य उत्पादों के मुकाबले 2007 की मार्केट रिसर्च के आधार पर इन बीड़ियों को काफी अलग पाया गया. एफडीए का कहना है कि कंपनी नए निर्धारित मानकों पर अमल नहीं कर रही है.

एफडीए द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "इसका मतलब है कि अमेरिका में उनकी बिक्री या वितरण नहीं किया जा सकता. न ही देश में उनका आयात किया जा सकता है." कंपनी के सूर्या ब्रांड के चार प्रकारों में सूर्या बीड़ी रेड, सूर्या बीड़ी मेंथॉल, सूर्या बीड़ी रेड कोन और सूर्या बीड़ी मेंथॉल कोन शामिल हैं. जो कंपनियां अमेरिका में सूर्या बीड़ी की बिक्री या वितरण जारी रखेंगी, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. एफडीए ने यह भी कहा है कि जिन दुकानों में इसे बिकते हुए पाया जाएगा उनका बिना किसी पूर्व चेतावनी के अधिग्रहण कर लिया जाएगा.

निकोटीन की लत का खतरा

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने चेतावनी दे है कि बीड़ियों में निकोटीन की मात्रा साधारण सिगरेट से कहीं ज्यादा होती है. उन्होंने अपनी वेबसाइट पर भी लिखा है कि बीड़ी के धुएं में साधारण सिगरेट के मुकाबले तीन से पांच गुना ज्यादा निकोटीन होता है जिससे निकोटीन की लत लगने की आशंका और प्रबल हो जाती है.

Schockbilder auf Zigarettenpackungen
यूरोप ने भी निकोटीन पर शिकंजा कसातस्वीर: picture-alliance/dpa

संगठन द्वारा 2011 में किए गए सर्वे के अनुसार स्कूलों के दो फीसदी छात्र और मिडिल स्कूलों के 1.7 फीसदी छात्र बीड़ी का सेवन करते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा लागू किए गए टोबैको कंट्रोल एक्ट के अनुसार 2009 में एफडीए को तंबाकू उत्पादों के बाजार में नियंत्रण का अधिकार दिया गया था. इस कानून का मकसद है खासकर युवाओं में सिगरेट की लत को कम करना.

एफडीए के सेंटर फॉर टोबैको प्रोडक्ट्स के निदेशक मिट्श जेलर ने बताया, "हमेशा से तंबाकू कंपनियां यह तय करती आई हैं कि बिना किसी निगरानी के कौन सा उत्पाद बाजार में आ रहा है और कौन सा बाहर जा रहा है. लेकिन टोबैको कंट्रोल एक्ट ने एफडीए को यह अधिकार दिया कि वे आवेदनों की समीक्षा कर सकें और तय कर सकें कि कानूनी तौर पर कौन सा तंबाकू उत्पाद बाजार में बेचा जा सकता है और कौन सा नहीं, ताकि लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके."

अमेरिका में करीब 18 फीसदी लोग धूम्रपान करते हैं. हर साल अमेरिका में चार लाख अस्सी हजार लोगों की मौत तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों की वजह से होती है.

एसएफ/एएम (एएफपी)

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