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भारतीय वायुसेना पर बोइंग की नजर

१७ अक्टूबर २०१०

अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग भारतीय वायुसेना के साथ बड़ा सैन्य करार करने के लिए बेताब है. भारतीय सेना अगले पांच साल में 50 अरब डॉलर का साजो सामान खरीदना चाहती है, बोइंग इस रकम से बढ़िया बोहनी करना चाह रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारतीय वायुसेना और नौसेना आकाश में अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें अत्याधुनिक विमानों की जरूरत है. सेना की जरूरत कंपनियों के लिए बिजनेस है. बोइंग के उपाध्यक्ष और भारत में प्रमुख विवेक लाल कहते हैं, ''बोइंग ने भारतीय नौसेना और वायुसेना के सामने अर्ली वॉर्निंग एंड कमांड एयरक्राफ्ट की जानकारी पेश की है. हालांकि अब तक कोई योजना दरख्वास्त या प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है.''

अर्ली वॉर्निंग एंड कमांड सिस्टम आकाश में बेहद दूर हो रही की गतिविधियों को भी पकड़ लेता है. इस सिस्टम से लैस बोइंग के बी737-700 विमानों में और भी कई अत्याधुनिक तकनीकें हैं. भारतीय वायुसेना ऐसे दस विमान खरीदने की इच्छुक है. हालांकि भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) भी एक ऐसा ही अर्ली वॉर्निंग तंत्र बना रहा है.

बोइंग के मुताबिक इंडियन एयरफोर्स के साथ उनके कुछ सौदे पक्के हो चुके हैं. विवेक लाल ने बताया, ''बोइंग को भारतीय वायुसेना के लिए हवा में तेल भरने वाले रिफ्यूलर्स का ऑर्डर मिला है.'' विवेक लाल को हफ्ते भर पहले ही इंडो-यूएस रणनीतिक बातचीत का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

Besichtigung der neuen Boeing 787
तस्वीर: AP

लेकिन कुछ अन्य सौदे में बोइंग को यूरोप की विमान कंपनी एयरबस से कड़ी टक्कर मिल रही है. तेल वाहक या मालवाहक विमान को लेकर एयरबस का A330 विमान अमेरिकी कंपनी को कड़ी टक्कर दे रहा है.

लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों के लिए सौदे में रूस, फ्रांस, इस्राएल और अमेरिका दिलचस्पी ले रहे हैं. फिलहाल मैदान इस्राएल के फाल्कन, रूस के एमआई-28 और एमआई-26 के लिए खुल रहा है. दिसंबर में फ्रांस के राष्ट्रपति भारत आएंगे और तब उनका शिष्टमंडल भी भारतीय सेना के लिए नए विमानों का नमूना पेश करेंगे.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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