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"भारत-अमेरिका चीन की ताकत को संतुलित करें"

२ सितम्बर २०१०

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और प्रभाव को देखते हुए अमेरिका को भारत के साथ साझेदारी और मजबूत करना चाहिए. यह कहना है जाने माने अमेरिकी विशेषज्ञ का, जो क्षेत्र में संतुलन के लिए इस साझेदारी को जरूरी मानते हैं.

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होड़ समंदर को हथियाने कीतस्वीर: AP

हेरिटेज फाउंडेशन के डीन छेंग कहते हैं कि हिंद महासागर चीन की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा हित, दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है. उनके मुताबिक चीन भारत के पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है. यह न सिर्फ "उभरते हुए भारत" को देखते हुए उसके आर्थिक बल्कि सुरक्षा हितों को सुरक्षित रखेंगे.

छेंग कहते हैं कि क्षेत्र में चीन का असर बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि अमेरिका भी हिंद महासागर में पीछे न रहे. यह क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बनाए रखने और फिर से वहां दाखिल होने की मुश्किलों से बचने के लिए जरूरी है. वह मानते हैं कि आने वाले समय में चीन के रणनीतिकार अपने असर वाले हिंद महासागर के हिस्से पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देंगे.

दरअसल चीन इस बात को लेकर चिंतित है कि उसे अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए समुद्री रास्तों पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर होना पड़ रहा है. 2010 में पहली चीन को अपनी जरूरत का 50 प्रतिशत से ज्यादा तेल आयात करना पडा है. चीनी राष्ट्रपति हू चिन्थाओ पहले ही मलय प्रायद्वीप और इंडोनेशिया के बीच पड़ने वाले मल्लका स्ट्रेट जल क्षेत्र के मुद्दे को उठा चुके हैं. वह कहते हैं, "इस बारे में ज्यादा शक की गुंजाइश नहीं है कि यह चीन की तेल आपूर्ति का मुख्य रास्ता है. म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देशों में वैकल्पिक बंदरगाह और पाइपलाइनों निर्माण करना चीन के लिए जरूरी है. इससे मल्लका स्ट्रेट पर निर्भरता कम होगी."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम