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भारत और अफ्रीका की अनदेखी नहीं चलेगी

२९ अक्टूबर २०१५

भारत ने नई दिल्ली पहुंचे सूडान के राष्ट्रपति को "सम्मानित मेहमान" बताकर गिरफ्तार करने से इनकार किया. इस तरह भारत सरकार ने संकेत दिया कि वह अफ्रीकी नेताओं के हितों की रक्षा करेगी.

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तस्वीर: Reuters/A. Abidi

तीसरे और अब तक के सबसे बड़े भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर भी पहुंचे. बशीर के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत वारंट जारी कर चुकी है. अदालत ने भारत से बशीर को गिरफ्तार करने की मांग भी की. लेकिन इसे ठुकराते हुए नई दिल्ली ने कहा कि भारत ने आईसीसी को बनाने वाले रोम समझौते पर दस्तखत नहीं किये हैं. बशीर को "सम्मानित मेहमान" बताते हुए भारत ने कहा कि वह सूडान के राष्ट्रपति को गिरफ्तार नहीं करेगा.

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ओमर अल बशीरतस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Elmehedwi

सम्मेलन के आखिरी दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकी नेताओं के सामने भविष्य की योजनाओं का खाका रखा. अफ्रीका के 40 से ज्यादा देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "एक तिहाई मानवता के सपने एक छत के नीचे आ चुके हैं. यह स्वतंत्र देशों और जाग चुके सपनों की दुनिया है. हमारे संस्थान हमारी दुनिया के प्रतिनिधि नहीं हो सकते, अगर वे अफ्रीका की आवाज को जगह नहीं देंगे, जहां एक तिहाई से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र सदस्य हैं या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को, जिसमें इंसानियत का छठा हिस्सा है."

भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. कई दशकों तक गुट निरपेक्ष आंदोलन की धुरी रहा भारत अब धीरे धीरे विदेश नीति बदल रहा है. कभी अलग थलग रहने वाला देश अब वैश्विक खिलाड़ी बनना चाहता है. इसके लिए भारत को अफ्रीका की जरूरत है. फिलहाल भारत और अफ्रीका के बीच 72 अरब डॉलर का कारोबार होता है. चीन की तुलना में यह एक तिहाई है.

मोदी ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा, नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मदु बुहारी और मिस्र के राष्ट्रपति फतह अल-सिसी समेत बाकी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, "एक समृद्ध, एकीकृत और एकजुट अफ्रीका के आपके नजरिये के लिए हम अपना सहयोग बढ़ाएंगे."

भारतीय अर्थव्यवस्था बीते दो दशकों से तेज विकास कर रही है. मोदी भारत के लिए अफ्रीका में बाजार खोजना चाहते हैं. इस साल दिसंबर में केन्या की राजधानी नैरोबी में विश्व व्यापार संघ की मंत्री स्तर की बैठक होगी. भारतीय प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी नेताओं से इस मौके पर भारत और अफ्रीका के बीच मुक्त व्यापार की संभावनाएं तलाशने की अपील की.

भारत और अफ्रीका गरीबी से भी जूझ रहे हैं. अफ्रीकी नेता अपने यहां निवेश चाहते हैं. 2008 में हुए पहले भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन के बाद से भारत अब तक अफ्रीका को 7.4 अरब डॉलर का सस्ता कर्ज दे चुका है. इस बार नई दिल्ली ने 10 अरब डॉलर के नए कर्ज का वादा किया.

अफ्रीका दुनिया का दूसरा बड़ा महद्वीप है, लेकिन वहां के ज्यादातर देशों के बीच बहुत ज्यादा आपसी और जातीय मतभेद हैं. यही वजह है कि अक्सर संयुक्त राष्ट्र या दूसरे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफ्रीकी नेता एक आवाज में नहीं बोल पाते. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिए अफ्रीकी देशों का समर्थन चाहता है. नई दिल्ली का कहना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया काफी बदल चुकी है और सुरक्षा परिषद को बदलाव के मुताबिक बनाया जाना चाहिए.

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी मोदी अफ्रीका को साथ लाना चाहते हैं. उनके मुताबिक, "जब सूरज डूबता है, भारत और अफ्रीका के एक करोड़ घर अंधेरे में डूब जाते हैं." दिसंबर में पेरिस में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, "हम इसे ऐसे बदलना चाहते हैं कि किलीमंजारों की बर्फ भी न पिघले, गंगा का पानी देने वाला ग्लेशियर न खिसके और हमारे द्वीप भी न डूबें."

भारत ने अफ्रीका को सौर ऊर्जा वाले देशों के गठबंधन से जुड़ने का भी न्योता दिया है. नरेंद्र मोदी का कहना है कि इस गठबंधन का औपचारिक एलान 30 नवंबर को पेरिस में होगा.

ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स, पीटीआई)