1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत ने किसानों के लिए मुआवजा बढ़ाया

८ अप्रैल २०१५

कृषि नीति पर बढ़ते असंतोष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारी बरसात में फसल का नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए मुआवजा बढ़ाने की घोषणा की है. उद्योग जगत भी मोदी सरकार से निराश होने की बात खुलकर करने लगा है.

https://p.dw.com/p/1F42r
Bildergalerie Indien Nahrung
तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

एक साल पहले विकास के नारे के साथ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की भारी जीत हुई थी. लेकिन सरकार के विवादास्पद भूमि अधिग्रहण कानून को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा, "यह सरकार सहित हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम हमारे किसानों के साथ खड़े हों जो इस समय मुश्किल से गुजर रहे हैं." बेमौसम बरसात ने भारत के उर्वरक उत्तरी हिस्से में शीतकालीन फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. नुकसान की वजह से दर्जन से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली है. किसान संगठनों ने नुकसान के असर को कम करने के लिए सरकार के पर्याप्त काम नहीं करने का आरोप लगाया है.

एक ओर किसान भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर उद्योग जगत में भी मोदी सरकार से निराशा बढ़ रही है. देश के प्रमुख उद्यमी अब खुलकर इस बारे में बात करने लगे हैं कि सरकारी कदमों की भारी भरकम घोषणा के बावजूद जमीनी हालात नहीं बदले हैं और कारोबार करने की हालत में सुधार नहीं हुआ है.

मोदी ने कहा है कि सरकार फसल के नुकसान के लिए मुआवजे में 50 फीसदी की वृद्धि करेगी. पहली बार उन किसानों को भी मुआवजे का दावा करने का अधिकार मिलेगा जिनकी आधी से कम फसल बर्बाद हुई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैंकों से किसानों के कर्ज के भुगतान को नए सिरे से तय करने को कहा है जबकि बीमा कंपनियों को कहा गया है कि वे किसानों के दावों का तेजी से निबटारा करें.

प्रधानमंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब विपक्षी दल संसद में सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध कर रहे हैं. बहुत से किसान संगठन भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं जिसमें उद्योगों के लिए किसानों को अपनी जमीन बेचने को मजबूर करना आसान कर दिया जाएगा. देहाती इलाकों में बिल के इस प्रावधान पर भारी असंतोष है. भारत के 1.2 अरब आबादी का दो तिहाई हिस्सा गांवों में रहता है और आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अति लघु उद्यमियों और कारोबारियों को संस्थागत एवं किफायती दरों पर आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की है. उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं के केंद्र में युवा शक्ति होनी चाहिए. माइ्क्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी मुद्रा बैंक के जरिए अति लघु उद्यमियों और कारोबारियों को 10 लाख रूपये तक का ऋण मिल सकेगा. भारत में बड़े उद्योगों में 1.25 करोड लोग काम करते हैं जबकि देश के 5.77 करोड़ छोटे उद्यमियों के माध्यम से 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इसमें 11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी लगी हुई. सरकार का मकसद है कि इस क्षेत्र को सुगम ऋण और ऊंची ब्याज दरों से छुटकारा दिलाकर ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.

एमजे/आईबी (एएफपी, वार्ता)