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भारत ने जिम्बाब्वे को 7 विकेट से रौंदा

१३ जून २०१०

जिम्बाब्वे के खिलाफ दूसरे ट्वेंटी20 मैच में भारत ने 7 विकेट से जीत हासिल की है. शुरुआती झटके के बाद कप्तान सुरेश रैना और मुरली विजय ने संभाली पारी. जिम्बाब्वे को कप्तान टैटेंडा टाइबू की पारी का सहारा काम न आया.

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तस्वीर: AP

सुरेश रैना ने अर्धशतकीय पारी खेली और भारत को दूसरे ट्वेंटी20 मैच में भी जीत दिलाना सुनिश्चित किया. 72 रन की नाबाद पारी खेलने वाले रैना को मुरली विजय का अच्छा साथ मिला और दोनों ने भारत को जीत के दरवाजे पर पहुंचा दिया. विजय भी शानदार 46 रन की पारी खेल कर आउट हुए. रैना ने 72 रन बनाने के लिए सिर्फ 44 गेंदों का सहारा लिया और 6 चौके और 2 छक्के लगाए. भारत ने दो ट्वेंटी20 मैच की सीरिज 2-0 से जीत ली है.

Cricketspieler Suresh Raina
तस्वीर: AP

भारतीय पारी में नमन ओझा और मुरली विजय ने मोर्चा संभाला और आराम से खेलते हुए 4 ओवर तक स्कोर 30 के पार पहुंचा दिया. यहीं भारत को पहला झटका लगा जब नमन ओझा 10 रन के स्कोर पर प्राइस का शिकार बने. ओझा के जाने के बाद खेलने आए कप्तान सुरेश रैना और मुरली विजय ने जिम्बाब्वे को हावी होने का मौका नहीं दिया और खुलकर स्ट्रोक लगाए. मुरली विजय ने 39 गेंदों में 46 रन बनाए जिसमें 2 चौके और 3 छक्के शामिल हैं.

भारत ने टॉस जीतकर पहले जिम्बाब्वे को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. जिम्बाब्वे की शुरुआत अच्छी नहीं रही और मसकादजा सिर्फ 2 रन के निजी स्कोर पर अशोक डिंडा की गेंद पर रोहित शर्मा के हाथों कैच आउट हो गए. पहले मैच में ऐसा लगा था कि जिम्बाब्वे के बल्लेबाज कुछ ज्यादा ही आक्रामक खेल दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा.

दूसरे ट्वेंटी20 मैच में उन्होंने सतर्कता भरी शुरुआत की लेकिन यह भी उनके काम न आई. मसकादजा ने 8 गेंदों में 2 रन ही बना पाए. ब्रैंडन टेलर और चामू चिभाभा ने भी बड़े शॉट खेलने की कोशिश नहीं की. अशोक डिंडा और आर विनय ने पहले पांच ओवर में सिर्फ 16 रन दिए.

छठे ओवर में चिभाभा ने उठा कर मारने का प्रयास किया लेकिन गेंद विकेटों में उलझ कर रह गई. उन्हें प्रज्ञान ओझा ने 7 रन के स्कोर पर पैवेलियन भेजा जिसके लिए चिभाभा ने 17 गेंदों का सामना किया. टेलर ने कुछ अच्छे स्ट्रोल लगाए लेकिन सिंगल चुराने में वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए अमित मिश्रा की बॉल पर जब ओझा ने युसूफ पठान को कैच थमाया तो वह 3 चौकों की मदद से 27 रन बना चुके थे.

जिम्बाब्वे की पारी को चुनौतीपूर्ण लक्ष्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कप्तान टाइबू ने जो हर तरह के स्ट्रोक लगाने की कोशिश कर रहे थे. स्वीप, रिवर्स स्वीप, तेजी से रन लेना, स्पिनर्स के खिलाफ खतरा मोल लेना, यह सब टाइबू की पारी में देखने को मिला. 40 गेंदों की अपनी पारी में टाइबू में भले ही 2 चौके लगाए हो लेकिन वह अन्य बल्लेबाजों से तेज खेले क्योंकि वह सिंगल लेने में कामयाब रहे और इससे स्ट्राइक बदलती रही.

उनका साथ कोवेन्ट्री ने दिया जिन्होंने अपनी बैटिंग से सोचने पर मजबूर कर दिया कि किस वजह से शुरुआती बल्लेबाज धीमी बल्लेबाजी कर रहे थे. सिर्फ 13 गेंदों में उन्होंने 28 रन ठोंके जिसमें 3 चौके और 2 छक्के शामिल हैं. खतरनाक दिखाई दे रहे कोवेन्ट्री को अशोक डिंडा ने शानदार यॉर्कर से बोल्ड कर विदा किया.

लेकिन उनके जाने के बाद भारत को राहत नहीं मिली क्योंकि एल्टन चिगुम्बरा ने आते ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरू कर दी. 19वें ओवर में उन्होंने अश्विन को नहीं बख्शा और दो छक्के और एक चौका जड़ दिया. सुरेश रैना ने आखिरकार शानदार कैच पकड़ते हुए उन्हें पैवेलियन भेजा. जिम्बाब्वे ने 20 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 140 रन बनाए और कप्तान टाइबू 45 रन के स्कोर पर नाबाद रहे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एन रंजन