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भारत पाक वार्ता जारी रखने के पक्ष में गिलानी

१७ जुलाई २०१०

कड़वी टिप्पणियों के साथ खत्म हुई भारत पाक वार्ता के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि वह भारत के साथ बातचीत आगे भी जारी रखना चाहते हैं. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के भी बदल गए हैं स्वर.

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तस्वीर: AP

गिलानी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत जारी रखना चाहता है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. हम बातचीत चाहते हैं वो भी चाहते हैं. जब भी बातचीत होगी सभी मुद्दों को उठाया जाएगा."

सभी मुद्दों पर बात नहीं करने का ही आरोप पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने लगाया था. इधर पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने सार्क शिखर वार्ता के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री से हुई भेंट का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच विवादों के सभी मामलों को उठाने का आश्वासन दिया गया था.

Indisch-pakistanische Gespräche
तस्वीर: AP

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए गिलानी ने आश्वस्त किया कि पाकिस्तानी सरकार और न्यायपालिका के बीच कोई मतभेद नहीं है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि वहीं भारत के साथ संबंध सामान्य करने के मामले में एकदम गंभीर हैं. लेकिन जब भी दोनों देश बातचीत के लिए बैठते हैं तो आखिरी मौके पर कोई गड़बड़ हो जाती है और बातचीत फेल हो जाती है. लेकिन हमने तय किया है कि बातचीत आगे बढ़ाई जाएगी.

कुरैशी का मानना है कि यह एक अच्छा शगुन है. पाकिस्तान और भारत के बीच काफी लंबे समय से तनातनी है. अब समय आ गया है कि दोनों देश पूरी गंभीरता से साथ आ कर आपसी मतभेदों, विवादों को दूर कर दें और एक दूसरे को बराबरी का दर्जा देते हुए, दोनों के फायदे के लिए नई शुरुआत करें. पाकिस्तान इस मुकाम तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश करेगा.

15 जुलाई को भारत एसएम कृष्णा और पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी के बीच हुई बातचीत में मतभेद उभर कर आए और बातचीत खत्म होने के पहले ही उसे विफल करार दे दिया गया. 2008 में हुए मुंबई हमलों के बाद दोनों के बीच यह पहली मंत्री स्तर की वार्ता थी. कुरैशी ने विफलता का ठीकरा कृष्णा के सिर फोड़ा और दावा किया कि बातचीत आगे इसलिए नहीं बढ़ी क्योंकि कृष्णा को बार बार नई दिल्ली से निर्देश दिए जा रहे थे. कृष्णा ने पाकिस्तान के आरोपो का खंडन किया है कि भारत सभी मुद्दो पर बातचीत के लिए तैयार नहीं था. 

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एस गौड़