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भारत में डर के साए में रहते हैं अफ्रीकी

ऋतिका पाण्डेय (एएफपी, डीपीए)२६ मई २०१६

मई में ही भारतीय राजधानी नई दिल्ली में कांगो के एक नागरिक की निर्मम हत्या का बुरा असर अब कांगो में रहने वाले भारतीयों पर पड़ता दिख रहा है.

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Indien Proteste gegen Angriffe auf Studenten aus Tansania in Banglaore
फरवरी 2016 में बेंगलूरू में तंजानियाई छात्रों के साथ हुई हिंसा के बाद शांति और प्रेम के संदेश के साथ सड़कों पर उतरे भारतीय छात्र.तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran

अफ्रीकी देश कांगो में रहने वाले भारतीयों को हिंसा का निशाना बनाए जाने की खबरें आने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि कांगो दूतावास के अधिकारी इस हमले के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत और कांगो के बीच बहुत पुराना संबंध रहा है. हर साल अफ्रीका के बड़ी संख्या में छात्र भारत पढ़ने के लिए आते हैं. मई में ही दिल्ली में कांगो के एक नागरिक को भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था. जिसके बाद से अफ्रीकी नागरिकों के लिए भारत के असुरक्षित होने पर चंता जताई जा रही है. इससे पहले भी भारत के कई हिस्सों से अफ्रीकी मूल के लोगों के प्रति नस्लभेदी टिप्पणियां, अविश्वास, आरोप और हिंसा जैसी खबरें आती रही हैं. भारत सरकार ने दोहराया है कि वह इनकी सुरक्षा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

दिल्ली में स्थिति कई अफ्रीकी देशों के राजदूतों ने भारत से 26 मई को अफ्रीका दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्थगित करने का अनुरोध किया है. एक हफ्ते पहले ही डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के मासुंडा कितादा ओलिवर की हत्या हुई थी, जिससे जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

अफ्रीकी दूतों के इस मिशन के डीन ने इस फैसले की वजह बताते हुए कहा, "भारत में मौजूद अफ्रीकी समुदाय, जिसमें छात्र भी शामिल हैं, बीते सालों में मारे गए अफ्रीकी छात्रों की मृत्यु का शोक मना रहे हैं." इसी साल फरवरी में दक्षिण भारतीय शहर बेंगलूरू में तंजानिया के दो छात्रों को बुरी तरह पीटा और उनकी कार को आग लगा दी थी. अफ्रीकी प्रतिनिधियों ने कहा है कि ऐसे अपराधों में दोषियों को सजा नहीं मिलती. इसी के साथ उन्होंने और अफ्रीकी छात्रों को तब तक भारत भेजने से मना किया है, जब तक हालात उनके लिए सुरक्षित नहीं हो जाते.

साल 2013 में एक नाइजीरियाई नागरिक को पश्चिमी गोवा में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था. स्थानीय नेताओं ने घटना के बाद दिए बयान में अफ्रीकी लोगों की तुलना "कैंसर" से कर डाली थी. दिल्ली सरकार में पूर्व कानून मंत्री पर भी 2014 में अपने अभियान के दौरान एक अफ्रीकी महिला पर जिस्मफरोशी में लिप्त होने के संदेह पर उसे परेशान करने का आरोप लगा था.

इस बार हिंसा का निशाना बना छात्र ओलिवर 23 साल का था और 6 साल से दिल्ली में रह रहा था. अफ्रीकी देशों के दूतों ने भारत में फैली "नस्लभेद और एफ्रो-फोबिया" की समस्या से निपटने के उपाय करने की अपील की है.