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गर्मी की मार के बाद भूजल बढ़ाने के प्रयास

विश्वरत्न श्रीवास्तव२५ अप्रैल २०१६

पानी को तरसते लोगों की तस्वीरें इन दिनों आम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताजा मन की बात में जल संकट ने निबटने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया है. देश भर में गिरते भूजल स्तर से निपटने की चिंता देखी जा रही है.

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Indien Dürre - Flussufer
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia

भूजल स्तर में आई कमी के चलते देश के कई राज्य पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. बिहार का सीतामढ़ी जिला भी भूजल में आयी गिरावट से प्रभावित है. तालाबों, नदियों और अन्य जल स्रोतों के सूखने से सचेत हो कर यहां पर भूजल संरक्षण के लिए सोक पिट्स बनाये जा रहे हैं.

जल संरक्षण के लिए किए गए अनूठे प्रयास के तहत एक साथ 2168 सोख्ता यानी सोक पिट बनाए गए हैं. इसके जरिए लगभग 26 करोड़ लीटर पानी का संचयन किया जा सकेगा. स्वच्छ भारत अभियान के तहत जल निकासी के समुचित प्रबंध और भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए शुरू किए गए अभियान के पीछे जिले के भूजल स्तर में आयी चिंताजनक गिरावट का भी योगदान है. यहां भूजल का स्तर दो फीट तक नीचे जा चुका है.

जल संरक्षण के लिए एक साथ जिले भर में इतनी अधिक संख्या में सोक पिट का निर्माण कर सीतामढ़ी ने पूरे देश में मिसाल कायम की है. सोक पिट का निर्माण जिले भर के स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, प्रखंड कार्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कराया गया है. सोक पिट का निर्माण हैंडपंप के समीप किया गया है जिससे हैंडपंप का इस्तेमाल किया गया पानी फिर से ज़मीन के जल स्तर तक पहुंचेगा. भूजल विशेषज्ञों के अनुसार इससे जलस्तर को बरकरार रखने में सहायता मिलेगी. इतने बड़े पैमाने पर सोक पिट का निर्माण कार्य करने के लिए जिला प्रशासन ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन भी दिया है.

लोगों को भी जोड़ने का प्रयास

सीतामढ़ी जिले में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सोक पिट का निर्माण करने के पीछे आम लोगों को इस अभियान में शामिल करना था. इस अभियान के तहत आम लोगों में पानी को बचाने के प्रति भी जागरूकता पैदा करने की कोशिश की गयी है. सोक पिट निर्माण के लिए जिले में 21 दिनों से जागरूकता अभियान चलाया गया था. जिला जल व स्वच्छता समिति प्रकल्प ने भी अभियान को गति देने एवं आम लोगों को इसमें जोड़ने के लिए भरपूर पहल की. इस अभियान का उद्देश्य ना केवल जल संचय के प्रति लोगों को जागरूक करना बल्कि उन्हें अपने घरों में सोक पिट का निर्माण करने को प्रेरित करना भी है.

महाराष्ट्र के नांदेड़ में सोक पिट के जरिये कुछ गांवों में भूजल का स्तर बढ़ चुका है. सोक पिट के निर्माण से जुड़े रहे विनोद गंडेवार इस प्रयोग को भूजल स्तर को बनाये रखने के लिए उपयोगी मानते हैं. विनोद के अनुसार यह सस्ता, सुलभ और प्रभावी उपाय है. इस तरह के अभियान को ज्यादा सार्थक बताते हुए विलास पाटिल कहते हैं कि जन भागीदारी वाले छोटे छोटे उपायों से ही इस बड़ी और विकराल समस्या से मुकाबला किया जा सकता है.

देश भर में प्रयासों की जरूरत

गिरता भूजल स्तर सिर्फ मराठवाड़ा या सीतामढ़ी की समस्या नहीं है बल्कि देश के अधिकतर राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं. पंजाब और हरियाणा में भूजल स्तर 70 प्रतिशत तक नीचे पहुंच चुका है. महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी स्थिति अच्छी नहीं है. अर्थव्यवस्था में भूमिगत जल के महत्त्व को देखते हुए सरकार ने गिरते भूजल स्तर की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपायों के साथ ही कुओं व तालाबों के संरक्षण, सिंचाई के स्रोतों के विकास और जल स्रोतों के पुनर्जीवन के बारे में ‘जल मित्रों' के जरिए जनभागीदारी के साथ जागरूकता फैलाने की पहल की है.

भूजल के स्तर में आ रही लगातार गिरावट के बावजूद देश में जल संरक्षण की कोई समुचित प्रणाली विकसित नहीं की जा सकी है. हर वर्ष अरबों घनमीटर वर्षा जल बेकार चला जाता है. प्रति व्यक्ति सालाना जल की उपलब्धता के मामले में भारत चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से बहुत पीछे है. पिछले दिनों आयोजित ‘भारत जल सप्ताह' में बोलते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी निवास करती है लेकिन जल उपलब्धता चार प्रतिशत है. भूजल विशेषज्ञों का कहना है कि जल का जिस तेजी से दोहन किया जा रहा है उससे आने वाले समय में भूजल का स्तर और नीचे चला जायेगा. इस समस्या से निपटने का एकमात्र उपाय “जल संरक्षण” ही है.