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मजदूर संघों की हड़ताल की 10 अहम बातें

२ सितम्बर २०१५

भारत में श्रम कानूनों में संशोधन के विरोध में 10 ट्रेड यूनियन की देश भर में 24 घंटे की हड़ताल. हड़ताल का खास तौर पर यातायात और व्यापार पर असर हुआ. हड़ताल से जुड़े दस अहम बिंदु.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar

1. यह हड़ताल न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने समेत 12 मांगों को लेकर है. ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों और मंत्री समूह की बैठक बेनतीजा होने पर 24 घंटे लंबी हड़ताल का आह्वान हुआ.

2. बैंकिंग, उत्पादन, निर्माण और कोयला खनन जैसे क्षेत्रों से करीब 15 करोड़ लोग हड़ताल में शामिल हुए. फेरीवालों, घरेलू सफाई इत्यादि की नौकरियां करने वालों और दिहाड़ी पर काम करने वालों से भी हड़ताल का आह्वान.

3. पश्चिम बंगाल और केरल में हड़ताल का खासा असर, देश के अन्य हिस्सों से भी कारोबार और यातायात जैसे कई इलाके प्रभावित हुए हैं. पश्चिम बंगाल से तोड़फोड़ और झड़पों की भी खबरें.

4. ज्यादातर इलाकों में दुकानें, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद. देश के कई हिस्सों में निजी बस सेवाएं, ट्रेनों और बसों के नहीं चलने से दिक्कत.

5.मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है. सरकारी कंपनियों को बेचने और विफल फैक्टरियों को बंद करने का फैसला वापस लेने की मांग.

6. हड़ताल में शामिल ट्रेड यूनियनों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई आर्थिक नीति से नौकरियों को खतरा होगा और आम आदमी का जीवन प्रभावित होगा.

Indien Streik Arbeitsmarktreformen
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR

7. इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर करीब 7 फीसदी रही, भारत चीन जैसी तेजी से चढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं को टक्कर दे रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हड़तालें दिखाती हैं कि विकास का फायदा आम आदमी तक नहीं पहुंच रहा है.

8. देश के लाखों युवाओं के लिए नौकरियों के नए रास्ते बनाने के लिए अर्थशास्त्री आर्थिक नीति में बदलावों की जरूरत पर जोर दे रहे हैं. पिछली हड़तालों से भारत को उत्पादन में कमी के कारण लाखों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है.

9. बीजेपी समर्थित ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं है. सरकार ने कहा है आम लोगों पर हड़ताल का असर नहीं पड़ेगा.

10. श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यूनियनों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की है. श्रम मंत्रालय का कहना है कि वह संगठनों की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रहा है.

एसएफ (एएफपी)