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भारत में सस्ता होगा हवाई किराया

५ दिसम्बर २०१०

भारत में लगातार दबाव के बीच निजी हवाई सेवा कंपनियों ने अपने किरायों में कमी करने का फैसला किया है. हालांकि इसके बाद भी वे पिछले साल के अपने औसत किराए से बहुत ज्यादा हैं.

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किंगफिशरतस्वीर: picture alliance/dpa

अधिकारियों का कहना है कि कुल किराए में 20 से 25 प्रतिशत की कमी हो गई है. उनका कहना है कि नागरिक विमानन मंत्रालय और नागरिक विमानन महानिदेशालय का दबाव रंग लाया है.

दिल्ली से मुंबई का इकोनॉमी क्लास का किराया 5,000 से 20,000 रुपये के बीच था, जबकि दिल्ली चेन्नई और दिल्ली कोलकाता का किराया 5,000 से 15,000 रुपये के बीच था. दो हफ्ते पहले दिल्ली मुंबई का हवाई किराया कम से कम 17,000 रुपये हो गया था.

हालांकि तब कोई त्योहार का सीजन भी नहीं था. पिछले साल इस मौके पर दिल्ली मुंबई का न्यूनतम किराया मात्र 3,000 रुपये था, जबकि दिल्ली चेन्नई और दिल्ली कोलकाता का सिर्फ 4,000 रुपये.

Landung Boeing 787 Dreamliner in Großbritannien Farnborough Airshow
तस्वीर: AP

नागरिक विमानन महानिदेशालय ने हाल के दिनों में निजी कंपनियों से बातचीत की है, जिसके बाद किराए कम हुए हैं. उन्होंने इंडिगो, स्पाइसजेट और गो एयर जैसी कंपनियों से बात की. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली और कोच्चि के बीच आखिरी मिनट का किराया 8,000 रुपये से 12,000 रुपये और दिल्ली कोयंबटूर का औसत 7,000 रुपये तय हुआ.

इतने के बाद भी ये किराए पिछले साल इस वक्त की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत ज्यादा हैं. हाल के दिनों में भारत में घरेलू उड़ानों की संख्या बहुत बढ़ी है और यात्री भी बढ़े हैं. लेकिन इसका असर किराए पर नहीं देखा जा सका है.

पश्चिमी देशों में आम तौर पर प्रतिस्पर्धा के बीच पहले टिकट लेने पर यह काफी सस्ता होता है, जबकि अंतिम क्षणों का टिकट बहुत महंगा होता है. फिर भी यह आम तौर पर भारत के मुकाबले सस्ता होता है.

किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या का कहना है कि टिकटों की कीमत सरकार को नहीं तय करनी चाहिए क्योंकि हवाई टिकट क्षणभंगुर वस्तु है. लेकिन सरकार का तर्क है कि यात्रियों को पता होना चाहिए कि वे आखिर इतना पैसा क्यों दे रहे हैं. ज्यादातर हवाई कंपनियों का कहना है कि विश्व भर में आखिरी मिनट में टिकट कटाने पर बहुत ज्यादा पैसा देना पड़ता है.

पिछले दिनों दुर्गा पूजा और दीवाली के दौरान और बाद में त्योहारों के बाद भी कुछ एयरलाइंस ने अचानक अपने किरायों में बेतहाशा इजाफा कर दिया, जिसके बाद महानिदेशालय ने उन पर प्राइस बैंड बनाने का दबाव डाला.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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