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भारत में हवा में भिड़ने से बचे दो विमान

६ जून २०१०

हवा में टकराने से बाल बाल बचे जेट एयरवेज और एयर इंडिया के विमान. तमिलनाडु के ऊपर दोनों विमान एक ही ऊंचाई पर खतरनाक ढंग से करीब आ गए थे. विमान पर लगी मशीनों और पायलटों की सूझ बूझ के चलते टला बड़ा हादसा.

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तस्वीर: AP

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली एयर स्पेस में एयर इंडिया की फ्लाइट IC 671 और जेट एयरवेज की फ्लाइट 9W 4758 टकराते टकराते बचे. करीब 250 मुसाफिरों को ले जा रहे ये विमान, एक ही वक्त में, दोनों 17,000 फीट की ऊंचाई पर थे. दोनों का रास्ता एक दूसरे को काट रहा था. तभी विमान को टक्कर से बचाने वाला एंटी कोलीजन सायरन बजा. सायरन लगातार जेट एयरवेज के पायलट को विमान ऊपर ले जाने का निर्देश दे रहा था. एयर इंडिया के पालयट को एंटी कोलीजन डिवाइस (एसीडी) ने नीचे जाने के लिए कहा गया. दोनों पालयटों ने एसीडी के निर्देश माने और विमानों को ऊपर नीचे किया.

अधिकारियों के मुताबिक यह घटना करीब साढ़े बारह बजे दोपहर में हुई. एयर इंडिया की फ्लाइट चेन्नई से मदुरै जा रही थी जबकि जेट एयरवेज का विमान को चेन्नई से तिरुअनंतपुरम के लिए निकला था. सूत्रों का कहना है कि तिरुचिरापल्ली और मदुरै के बीच आधुनिक रडार कवर नहीं है. जिसकी वजह से हादसे या अफरातफरी की नौबत आई.

सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाइट के दौरान दो विमानों की ऊंचाई में कम से कम एक हजार फीट का अंतर होना चाहिए. सामान्यतौर पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल हर फ्लाइट की निश्चित ऊंचाई तय करता है. पायलट एटीसी के आदेश को ही मानते हैं. दोनों विमान एक ही एयरपोर्ट से निकले तो क्या उन्हें समान ऊंचाई दी गई, यह भी अभी तक साफ नहीं हो सका है. कई अन्य बातें भी जांच में सामने आएंगी. भारत में हवाई यात्रा संबंधी नियम कायदे तय करने वाली संस्था डीजीसीए ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

भारत में बीते दस दिनों में यह तीसरा मौका है जब कोई बड़ा विमान हादसा टला है. चार जून को स्पाइस जेट का एक विमान रनवे पर फंस गया लेकिन इसके बावजूद एटीसी ने किंगफिशर की फ्लाइट को उसी रनवे पर उतरने की अनुमति दे दी. 27 मई को जेट एयरवेज के एक विमान की लैंडिंग आखिरी वक्त में टलवाई गई क्योंकि रनवे पर इंडियो का एक विमान आ गया था. जाहिर यह हालात बताते हैं कि भारत में जिस तेजी से विमान, पायलट और मुसाफिर बढ़े हैं उस तेजी से न तो हवाई अड्डे आधुनिक हुए हैं और न ही सुरक्षा को लेकर सरकार और एयरलाइन कंपनियां भारी भरकम खर्च करने की सोचती हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा मोंढे