1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत स्थायी सीट का वाजिब हकदारः अमेरिका

१७ नवम्बर २०१०

अमेरिका ने भारत को अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां पूरा करने के मामले में संजीदा देश बताया है और सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के उसके दावे को पुख्ता बताया है. इसी वजह से अमेरिका ने भारतीय दावेदारी का समर्थन किया है.

https://p.dw.com/p/QAxY
फिलिप जे क्राउलीतस्वीर: cc-by-nd/Ralph Alswang

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा कि भारत ने दुनिया के सामने अपने आप को सबसे जिम्मेदार दावेदार के रूप में पेश किया है. इसी कारण अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर भारत के दावे पर अपने फैसले का खुलासा किया. इसी महीने भारत के दौरे पर गए ओबामा ने नई दिल्ली में संसद के साझा अधिवेशन को संबोधित करते हुए भारत की दावेदारी का समर्थन किया.

ओबामा ने सुरक्षा परिषद में सुधारों की जरूरत पर बल दते हुए भारत के जल्द इसका स्थायी सदस्य बनने की बात कही थी. क्रउली ने कहा, "इस मामले में भारत की स्थिति अन्य देशों से अलग है इसलिए भारत को हमारा समर्थन अन्य दावेदारों को मिलने वाले समर्थन से अलग है."

जब क्राउली से पूछा गया कि क्या स्थायी सीट के लिए अमेरिकी समर्थन सीटीबीटी से जुड़ा है तो उन्होंने कूटनीतिक जवाब देते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि अमेरिका सीटीबीटी का समर्थक है. लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या अमेरिका यह नहीं चाहता कि भारत भी सीटीबीटी पर दस्तखत करे.

वैसे क्राउली ने यह जरूर कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को परमाणु और अन्य घातक हथियारों में कटौती के लिए प्रेरित किया है. अमेरिका पिछले कई सालों से पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के हफूज न होने पर चिंता जाहिर करता रहा है. उसका कहना है कि अफगानिस्तान से तालिबानी तत्वों के पाकिस्तान की ओर रुख करने के कारण यह खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है जबकि पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन पहले से ही डेरा जमाए बैठे है.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें