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भिड़े लेबनान इस्राएल, सीमा पर तनाव

४ अगस्त २०१०

लेबनान और इस्राएल के सैनिकों के बीत संघर्ष के कारण आपसी तनाव और बढ़ने की आशंका. 2006 के युद्ध के बाद से सबसे बड़ा संघर्ष. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने संयम बरतने की अपील की.

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लबनान-इस्राएल सीमा क्षेत्रतस्वीर: AP

इस्राएल और लेबनान की सीमा पर ये संघर्ष हुआ. एक वरिष्ठ इस्राएली अधिकारी, दो लेबनानी सैनिक और एक लेबनानी पत्रकार मारा गया. 2006 के युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच इसे सबसे गंभीर संघर्ष बताया जा रहा है.

चार साल पहले हिजबोल्लाह सैनिकों ने इस्राएल के खिलाफ युद्ध किया था लेकिन हिजबोल्लाह ताजा गोलीबारी में शामिल नहीं था. हालांकि गुट ने कहा है कि अगर इस्राएल आगे लेबनान की सेना पर हमला करता है तो वह चुप नहीं बैठेगा.

लेबनान और इस्राएल ने इस संघर्ष के अलग अलग कारण दिए. वहीं लेबनान के दक्षिण में तैनात संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना ने कहा है कि उसे गोलीबारी के हालात का जायजा लेना है.

NO FLASH Israel - Feuergefecht an der Grenze
घायल इस्राएली सैनिक को ले जा रहे राहत कर्मीतस्वीर: picture alliance/dpa

लेबनान की सेना का कहना है कि इस्राएली सैनिकों ने सीमा रेखा पार की, जबकि शांति सेना ने उसे रुकने को कहा था. वहीं इस्राएल के मेजर जनरल गादी आइसनकोट का कहना था कि लेबनानी बंदूकधारियों ने इस्राएली सीमा के अंदर उसके सैनिकों पर गोली चलाई. उन्होंने कहा कि इस्राएली टैंक पर भी लेबनान ने हमला किया.

इस्राएली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, इस्राएल ने जवाबी कार्रवाई की और अगर आगे उत्तरी हिस्से की शांति भंग करने और नागरिकों को परेशान करने या उनकी रक्षा कर रहे सैनिकों पर हमला करने की कोशिश की गई तो वह और उग्र प्रतिक्रिया देगा. सुरक्षा सूत्रों और मौके पर लोगों ने कहा कि इस गोलीबारी के अलावा और कोई संघर्ष दोनों पक्षों में नहीं हुआ.

संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने दोनों ही पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, सबसे आखिरी बात होगी कि इस घटना का और असर हो. वहीं संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से कड़ा धीरज बरतने के लिए कहा है और 1701 के प्रस्ताव के तहत अपनी शर्तों का पालन करें और विवाद को किसी तरह बढ़ने न दें.

2006 के बाद दोनों देशों के बीच हुई इस हिंसा में कुल 4 लोग मारे गए. जबकि चार साल पहले के युद्ध में 1,200 लेबनानी लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर आम लोग थे. 159 इस्राएली मारे गए थे जिनमें से अधिकतर सैनिक थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एम गोपालकृष्णन