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भुलाए नहीं भूलेंगे वो दिन

२४ नवम्बर २०१०

श्रोता अब हमारी वेबसाइट पर कार्यक्रम सुनते और आलेख पढ़ते हैं. हमसे अपनी खुशियां बांटते हैं और हम पर गुस्सा भी करते हैं, शिकायत भी लिखते हैं. श्रोताओं के ताजा ईमेल संदेशों में क्या लिखा है, चलिए जानते हैं.

https://p.dw.com/p/QGqc
तस्वीर: DW

अक्टूबर का महीना हमारे लिए वह खबर लेकर आया है जिसके लिए हिंदी श्रोता जगत शायद कतई तैयार नहीं था. मुझे कल की ही बात लगती है जब सन 1985 में मैंने पहली बार आपको सुना था. शायद आपके शीर्ष प्रबंध तंत्र को इस बात का अहसास न हो, पर हमें हैं. अगर आप किसी से 25 वर्ष से जुड़े हों और आपसे उसका संबंध केवल इसलिए तोड़ दिया जाए कि यह समय की मांग है, ये तकनीक की मांग है. क्या कोई अपने निकटस्थ को इसलिए छोड़ देगा कि यह समय की मांग है.

माफी चाहता हूं पर लिखना पड़ रहा है कि मैंने या एक आम भारतीय ने अभी तक ओल्ड एज होम की अवधारणा को स्वीकार नहीं किया है. शायद आपके जर्मनी में ये अवधारण आम हो. और आपने हमें उसी ओल्ड एज होम में पहुंचा दिया है. मैं मानता हूं कि इंटरनेट एक माध्यम है आपसे जुड़ने का, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कितने भारतीयों को ये खास सुविधा उपलब्ध है. क्या इंटरनेट रेडियो की तरह सबके घर में उपलब्ध है ?

कृपया अपने निर्णय पर पुन: विचार करें.

उमेश कुमार यादव, गोरेगांव (पूर्व) मुंबई

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डॉयचे वेले की इंग्लिश सेवा से मुझे ग्रुन्डिग रेडियो मिला तो मैं बहुत खुश था कि अब मैं डॉयचे वेले के सारे प्रसारण अच्छी तरह से सुन पाऊंगा. लेकिन हिंदी का प्रसारण ही बंद हो गया. कोई बात नहीं अब इंटरनेट से ही पढ़ और सुन कर काम चलाना पड़ेगा . क्या बोलूं अब, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है. ये भी अच्छे के लिए हुआ है, यही सोचना पड़ेगा .

सुमन कुमार

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रतन टाटा का यह बयान बहुत ही हिला देने वाला है और सरकार के लिए शर्मनाक भी है कि उनसे भी रिश्वत मांगी गई. साथ ही यह भी जानना रुचिकर होगा कि क्या टाटा उद्योग समूह अन्य सारे व्यापार बिना किसी लेन देन के ही कर पा रहे हैं. अगर ऐसा है तो बहुत सुखद है. यह भी सोच व अनुसंधान का विषय हो सकता है कि उम्र के ऊंचे पड़ाव पर प्रायः ही लोग अजीबो गरीब बयान क्यों देने लगते हैं, फिर चाहे वे रतन टाटा हो या सुदर्शन जी, जो लंबी चुप्पी के बाद अचानक बहुत कुछ कड़वा बोल जाते हैं .

विवेक रंजन श्रीवास्तव

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"हैलो ज़िन्दगी" के तहत भाई निर्मल यादव द्वारा राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा के मकसद और उससे भारत और अमेरिका को होने वाले फायदे पर महत्वपूर्ण रिपोर्ट पेश की गई.रपट के अंत में उन्होंने एक खास बात की तरफ ध्यान दिलाया कि धन की अंधी दौड़ में लगी इन शक्तियों को उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जो कि दो जून की रोटी तथा जीवन की बुनियादी जद्दोजहद में लगे हैं. शुक्रिया इस शानदार जुमले का इस्तेमाल करने के लिए.

सुरेश अग्रवाल, केसिंगा ,ओडिशा

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कंप्यूटर पर जानकारी बहुत ही अच्छी लगी. चीनी कंप्यूटर का स्थान दुनिया में दूसरा होना एशिया के लिए गौरव की बात है, पर जर्मन सुपर कंप्यूटर का स्थान 10 में भी न होना बहुत अफ़सोस की बात हैं.

मोहम्मद असलम जावेद

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भूत प्रेत भगाने की ट्रेनिंग . कहते है कि अनपढ़ लोग गवार और जाहिल होते है, लेकिन पढ़ा लिखा मॉडर्न और आज की दुनिया का सरताज ऐसा करे तो उसे कहा कहेगें. जी हां, पढ़े लिखे लोग ऐसे रूढीवादी है और भूत प्रेत में ऐसा विश्वास है कि उन्हें जीने नहीं दे रहा हैं. अब वे अपने पादरियों को कह रहा है भूत भगाना सीखो. यह है तथाकथित मॉडर्न अमेरिकियों की असली कहानी. हद तो तब हो गई जब ये पचास बिशप साठ पादरियों को ट्रेनिंग देने का प्लान रच दिया और शायद ट्रेनिंग देंगे भी. सच है चाहे चोला जितना सुंदर और साफ पहनो, पर मन साफ और पवित्र नहीं तो सोच पवित्र नहीं हो सकती. अब भी अमेरिकियों के मन भूत से भरे है. इसे रूढीवादी या जाहिल कहे तो कोई आतिश्योक्ति नहीं होगी. डॉयचे वेले का ये लेख सचमुच समाज का सच दिखाकर दुनिया को रास्ता दिखाने का काम कर रहा है. अपना सोचो अपना करो. किसी का अनुकरण मत करो, न जाने परदे के पीछे वे कितने मलीन हैं.

एस बी शर्मा, जमशेदपुर, झारखंड

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अच्छा ही हुआ बुरे काम का बुरा नतीजा. इंसाफ के ऐसे तथाकथित पुजारी सख्त से सख्त सजा के काबिल हैं. भले भारतीय इतिहास का ये दूसरा मौका है जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की अनुमति दी जा रही हो किन्तु इस तरह के सेवकों के लिए निश्चय ही किसी शर्मसार कर देने वाली कार्यवाही होगी बशर्ते हमारी संसद 1991 के जज रामा स्वामी के प्रकरण को दोहरा न दे जब ऐसा महाभियोग भी बौना और असहाय बन गया था. आज बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए जजों के खिलाफ भी आचार संहिता के साथ-साथ मजबूत कानूनी लगाम की भी आवश्यकता है अन्यथा न जाने कितने सौमित्र सेन इस देश को घुन की तरह चाट जाएंगे.

रवि श्रीवास्तव, इन्टरनेशन्ल फ़्रेन्ड्स क्लब, इलाहाबाद

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यूएन विवादों की सूची से कश्मीर हटा, पाक भड़का.

यूएन ने कश्मीर को विवादों की सूची से हटाकर यह जता दिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. इस बारे में पाकिस्तानी सियासत का दावा सिर्फ यह बताने के लिए है कि वहां के राजनेता कश्मीर में आग भडका कर केवल अपनी सत्ता की भूख मिटाने के लिए रोटिया सेंकते है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का कश्मीर पर दावा कोरा दिखावा मात्र है क्योंकि पाकिस्तानी राजनेता दुनिया भर का ध्यान अपनी आंतरिक कलह से हटाना चाहता है जबकि वहां के अवाम आज भी भारत पाक एकता में विश्वास करते हैं. विश्व बिरादरी में भारत के बढ़ते रूतबे ने पाकिस्तान के माथे पर शिकन ला दी. भारत को उसकी चालाकियों के प्रति सावधान रहना होगा.

माधव शर्मा नोखा जोधा, नागौर राजस्थान

संकलन: कवलजीत कौर

संपादनः ए कुमार