1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बड़े काम की भेड़

Louisa Schaefer३१ मार्च २०१४

फ्रांस में कंपनियां, सरकारी प्राधिकरण और आम लोग भेड़ों को किराए पर लेकर अपने घासदार लॉन की कटाई छंटाई का काम कराते हैं. फ्रांस के लियों में नैचुरमा नाम के संगठन का दावा है कि इससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है.

https://p.dw.com/p/1BYmD
तस्वीर: DW/E. Grenier

मैरी जोसी गेलेट के अहाते में घास को तराशने के लिए किसी शोर करने वाली मशीन की जरूरत नहीं. इसके बजाय आप भेड़ों के घास चरने की आवाज का आनंद ले सकते हैं. गेलेट ने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरे बगीचे में वे आजादी के साथ घूम सकती हैं और उन्हें जो करने का मन होता है वे कर सकती हैं." लियों शहर के केंद्र में स्थित अपने घर में गेलेट समझाती हैं कि उन्हें घासदार लॉन को संवारने के लिए कोई भी काम नहीं करना पड़ता है. भेड़ें ही सारा काम कर देती हैं. गेलेट कहती हैं, "मैं वास्तव में पर्यावरणविद् नहीं हूं, लेकिन शहर में इस तरह के ईको सिटीजनशिप में भाग लेने का मौका अच्छा है."

किराए पर भेड़

गेलेट के घासदार लॉन में चरने वाली भेड़ें क्रिस्टोफ दारफोई की पहल का हिस्सा है. दारफोई पर्यावरण शिक्षा के लिए संघ नैचुरमा के निदेशक हैं. दारफोई कहते हैं, "यह भविष्य के चरवाहें होंगे. आजकल शहर से बाहर चरवाहा होना बहुत मुश्किल भरा है. लेकिन शहर के अंदर इनका भविष्य है." 6 साल पहले दारफोई स्कॉटलैंड से विलुप्त होती सोआई नस्ल की भेड़ फ्रांस लेकर आए थे. जब भेड़ें फ्रांस आ गईं तो दारफोई को यह अहसास हुआ कि भेड़ों के लिए पर्याप्त घास नहीं है. उसके बाद उन्होंने लॉन की कटाई छंटाई के लिए भेड़ किराए पर देने की शुरुआत की. दारफोई का कहना है कि पहले लोग इसे मूर्खतापूर्ण कहते थे. दारफोई बताते हैं, "लेकिन जब उन्होंने देखा कि कितने कुशल तरीके से सब कुछ हुआ है तो उन्हीं लोगों ने कहा हां ये इसके लायक हैं. अब हम साल भर पांच से छह शहरी प्राधिकरण को भेड़ किराए पर देते हैं."

पर्यावरण को लाभ

इस तरह के काम के लिए सोआई नस्ल की भेड़ें विशेष रूप से उपयुक्त हैं, क्योंकि उन्हें बहुत ही कम देखभाल की जरूरत होती है. यहां तक कि उनकी ऊन भी खुद बखुद गिर जाती है. भेड़ वहां भी पहुंचने में कामयाब होती हैं जहां मशीन का पहुंचना मुश्किल है. इसके अलावा ईंधन की बचत, शोर और कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है. भेड़ जैव विविधता की रक्षा में भी मदद करती हैं. दारफोई के मुताबिक "घास पर तितलियां और पतंगें होते हैं. भेड़ उनको नहीं खाएंगी साथ ही कीड़ों के अंडों को भी वह नहीं खाएंगी. लेकिन मशीन का मामला बिल्कुल अलग है. मशीन सब चीजों को बर्बाद कर कुचल देती है." लेकिन घास चरने के लिए भेड़ों के इस्तेमाल के कारण कुछ सौंदर्य मानकों को बदलने की आवश्यकता पड़ती है. जो लोग घास की लंबाई और संवरे लॉन की ख्वाहिश रखते हैं वे जानवरों द्वारा किए गए काम से संतुष्ट नहीं होंगे. दारफोई का कहना, "आपको यह समझना होगा कि भेड़ सिर्फ घास चरती है. उन्हें जगह को उचित रखने की चिंता नहीं है. वे सिर्फ उस घास का चुनाव करेंगी जो रसदार है."

नई नौकरी

कुछ बाधाएं भी हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है. भेड़ों के चरने के लिए बाड़ लगाना अनिवार्य है. इसके लिए लाल फीताशाही से जूझना पड़ता है. कुछ लोग जानबूझकर भेड़ों को सताने का भी काम करते हैं. दारफोई ने इन मुद्दों से निपटने का तरीका खोज निकाला है और अब वे अपने अनुभव को साझा करने की योजना बना रहे हैं. शहरी चरवाहों को ट्रेनिंग देने के मकसद से वे टुलूस के राष्ट्रीय कृषिविज्ञान स्कूल के लिए शैक्षिक कार्यक्रम विकसित कर रहे हैं. दारफोई का कहना है कि वे नई प्रकार की नौकरी बनाना चाहते हैं. वे कहते हैं, "एक उचित आजीविका कमाने के लिए आपको 300 भेड़ों की जरूरत नहीं. अगर आपके पास 30-40 भेड़ें भी हैं तो आप साल उन्हें किराए पर देकर पैसा कमा सकते हैं."

रिपोर्ट: एलिजाबेथ ग्रेनियर लियों/ एए

संपादन: आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी