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मंत्रीजी बोलीं, सेक्स के लिए जगह ही कितनी चाहिए

१४ अक्टूबर २०१६

सिंगापुर अपनी घटती आबादी को लेकर कितना परेशान है, इसका अंदाजा वहां की एक मंत्री के बयान लगाया जा सकता है. उन्होंने लोगों से कहा है कि सेक्स करने के लिए तो बहुत थोड़ी जगह की जरूरत होती है.

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Sexualität Partnerschaft Symbolbild
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Wuestenhagen

सिंगापुर एशिया के सबसे अमीर देशों में से एक है, लेकिन वहां की जन्म दर में लगातार कमी सरकार को परेशान कर रही है. प्रति महिला 1.3 जन्म दर के साथ सिंगापुर दुनिया में सबसे कम जन्म दर वाला पांचवां देश है. पिछले साल वहां जनसंख्या वृद्धि दर सिर्फ 1.2 प्रतिशत रही. सरकार वहां विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या को कम करना चाहती है, लेकिन इससे उसके सामने कामगारों की किल्लत का संकट पैदा हो सकता है.

ऐसे में यही समाधान है कि सिंगापुर के लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें. सिंगापुर की वरिष्ठ राज्यमंत्री जोसेफिने टो ने भी यही बात कही है लेकिन कुछ अलग अंदाज में. स्ट्रैट्स टाइम्स अखबार ने उनके हवाले से लिखा है, "सेक्स करने के लिए बहुत छोटी सी जगह की जरूरत होती है." टो लोगों की पुरानी धारणाओं में बदलाव चाहती है और युवा लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित करना चाहती है, भले ही वे अभी अपने खुद के घर में सेटल न हुए हों. 

सिंगापुर को जन्मदर को बढ़ावा देने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. पिछले साल सरकार ने बच्चा पैदा करने वाले लोगों को दस हजार सिंगापुर डॉलर यानी 4.8 लाख रुपये की नगद राशि देने की योजना भी शुरू की है. इसके अलावा हाउसिंग प्रोजेक्ट में शादी शुदा लोगों को कई तरह के फायदे दिए जा रहे हैं.

2012 में "नेशनल डे" के मौके पर मेंटोस कंपनी ने एक वीडियो जारी किया जिसका नाम था "नेशनल नाइट" और इसमें लोगों से बच्चा पैदा करके अपनी देशभक्ति दिखाने को कहा गया था. ऐसे में मंत्री टो का बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है. कई लोगों ने इसके जबाव में सिंगापुर की सबसे छोटी जगहों का जिक्र किया है. एक फेसबुक यूजर ने लिखा है, "सिंगापुर के लोग परिंदों की तरह हैं जो तब तक अंडा नहीं देते जब तक उनके पास घोंसला न हो."

वहीं टो के बयान पर महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे बयानों से घटती जन्मदर की समस्या से निपटने में कोई मदद नहीं मिलेगी. एक महिला कार्यकर्ता जोलेन टान कहती हैं, "साफ तौर पर यह सिर्फ एक मजाक की बात है." इसके साथ ही वो महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर होने वाले भेदभाव का मुद्दा उठाती हैं. उनके मुताबिक, "अब भी बहुत सारी बाधाएं हैं."

एके/एमजे (रॉयटर्स)