मकड़ी के जहर से दर्द का इलाज
५ मार्च २०१५असरदार और लंबे समय तक दर्द रोकने का रहस्य मकड़ी के जहर में मिला है. ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में छपे एक शोध के मुताबिक, "इन्हीं तत्वों के आधार पर असरदार दर्दनिवारक दवा बनाने की प्रक्रिया एक कदम आगे बढ़ चुकी है."
मकड़ी के जहर में कई तरह के प्रोटीन होते हैं. इसमें कुछ ऐसे प्रोटीन भी हैं जो इंसानी दिमाग को दर्द का अनुभव नहीं होने देते. ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम के प्रमुख ग्लेन किंग के मुताबिक जहर में सात ऐसे तत्व मिले हैं जो दर्द का आभास कराने वाले संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकते हैं. मकड़ी इस जहर का इस्तेमाल शिकार को मारने के लिए करती है. जहर शिकार की तंत्रिकाओं और दिमाग के बीच के संपर्क को तोड़ देता है.
वैज्ञानिकों को लगता है कि अगर इस जहर का नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इंसान में भी दर्द का अहसास देने वाले सिग्नलों को "स्विच ऑफ" किया जा सकता है. शोध टीम ने मकड़ियों की 206 प्रजातियों का अध्ययन किया.
इस दौरान पता चला कि इंसानी मस्तिष्क तक दर्द का संकेत भेजने वाले नैव 1.7 चैनल को सात तत्वों से रोका जा सकता है. इनमें से एक तत्व की रासायनिक संरचना, थर्मल और बायोलॉजिकल स्टेबिलिटी का भी पता चला है. नई दवा बनाने के लिए यह जानना अनिवार्य है.
ग्लेन किंग कहते हैं, "कुल मिलाकर कहें तो ये गुण एक जबरदस्त दर्दनिवारक की संभावना दर्शा रहे हैं." फिलहाल बाजार में बहुत सी दर्दनिवारक दवाएं मौजूद हैं लेकिन इनमें से कई के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मकड़ियां इस मामले में मददगार साबित होंगी. दुनिया भर में मकड़ियों की 45,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं. दवा रिसर्च में अब तक इनका 0.01 फीसदी इस्तेमाल ही हो सका है.
ओएसजे/आरआर (एएफपी)