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इंसानियत और मदद की "टूटी" श्रृंखला जोड़ेंगे नेता

ऋतिका पाण्डेय (रॉयटर्स)२३ मई २०१६

दुनिया भर से कई प्रमुख देशों के नेता इंसानियत और मदद की 'टूटी' श्रृंखला को जोड़ने इस्तांबुल में जुटे हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवीयता पर अपनी तरह के पहले ऐसे सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र ने किया है.

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Türkei Humanitärer Weltgipfel
तस्वीर: picture-alliance/AA/A.H. Yaman

विश्व के 13 करोड़ से अधिक लोगों को तुरंत मदद दिए जाने की जरूरत है. तुर्की के शहर इस्तांबुल में विश्व के कई देशों के नेता इस बात पर चर्चा करने में जुटे हैं कि उन तक मदद पहुंचाने का तंत्र कितना "टूट" गया है और इंसानियत के इस सिलसिले को फिर से कैसे पटरी पर लाया जाए. दो दिवसीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का मकसद सहायता नेटवर्क के लिए फंड जुटाने और बेघर हुए अनगिनत नागरिकों की मदद के तरीकों पर सहमति बनाना है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे बड़ा मानव संकट दुनिया के सामने है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने सभी सरकारों, उद्यमों और सहायता समूहों का आह्वान करते हुए कहा है कि वे विस्थापित हुए नागरिकों की संख्या को 2013 तक आधा करने का प्रण लें. इसके लिए उन्होंने शरणार्थियों और विस्थापितों की मदद के लिए आगे आकर बराबर बराबर बोझ उठाने की अपील की.

Türkei Humanitärer Weltgipfel
विश्व भर के 57 देशों के राष्ट्राध्यक्ष कर रहे हैं शिरकत.तस्वीर: Reuters/M. Sezer

अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्ड्स (एमएसएफ) ने इस कांफ्रेंस से यह कहते हुए हाथ खींच लिए कि उसे इसकी उम्मीद नहीं है कि इसमें हिस्सा लेने वाले लोग आपातकालीन स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों की कमियों को दूर कर सकेंगे.

आलोचक कहते हैं कि वैश्विक मदद के पूरे तंत्र में कहीं अधिक धन लगाने की जरूरत है, तभी आज इतनी सारी क्षेत्रीय लड़ाइयों और सरकारों की नाकामी से पैदा हुए इतने सारे विस्थापितों की मदद की जा सकेगी. इसके अलावा जो धन मौजूद है उसे सबसे अधिक जरूरतमंद तक पहुंचाने के लिए सहायता संस्थाओं में भी भ्रष्टाचार और अक्षमता को कम करने की जरूरत है.

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जर्मन चांसलर भी इस्तांबुल कांफ्रेस में हिस्सा लेने पहुंची.तस्वीर: Reuters/M. Sezer

इस मौके पर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान ने पश्चिमी देशों पर निशाना साधा. पड़ोसी देश सीरिया में जारी युद्ध के कारण करीब 30 लाख रिफ्यूजी तुर्की में शरण लिए हुए हैं. दुनिया के किसी एक देश में रहने वाली यह सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी है. एर्दोवान ने कहा कि पश्चिम ने सीरियाई लोगों की मदद के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है. एर्दोवान सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के सबसे कट्टर आलोचकों में रहे हैं और असद को हटाए जाने को सीरिया युद्ध खत्म करने की सबसे जरूरी शर्त समझते हैं.

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के लिए लिखे एक लेख में एर्दोवान ने लिखा है, "अंतरराष्ट्रीय मानवीय मदद का तंत्र जिस हद तक टूट चुका है वो खतरनाक है." यूएन के 150 सदस्य देशों के लगभग 6,000 प्रतिभागियों के इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल समेत 57 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी सम्मेलन में मौजूद हैं.