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मदर के संत बनने का रास्ता साफ

प्रभाकर१८ दिसम्बर २०१५

आखिर 18 साल के लंबे इंतजार के बाद मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा के संत बनने का रास्ता साफ हो गया है. वैटिकन ने मदर के दूसरे चमत्कार की पुष्टि कर दी है.

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AP Iconic Images Mutter Theresa 1978
तस्वीर: AP

कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. इस खबर से मिशनरीज मुख्यालय में खुशी का माहौल है. मिशनरीज आफ चैरिटी की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने कहा कि वैटिकन ने इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है कि मदर को अगले साल संत घोषित कर दिया जाएगा. हम इससे बेहद रोमांचित और प्रसन्न हैं. उन्होंने कहा कि चर्च ने मदर के दूसरे चमत्कार को मान्यता दे दी है.

मदर का पहला चमत्कार कई साल पहले यहां सामने आया था. अब ब्राजील का एक मामला सामने आया है. वहां मदर की प्रार्थना से एक व्यक्ति आश्चर्यजनक रूप से स्वस्थ हो गया था. सुनीता के मुताबिक, मदर के निधन के बाद भी ऐसे कई चमत्कार होते रहे हैं. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर ने कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की थी. उन्होंने अपने जीवन के 45 साल यहां गरीबों और बेघरों के सेवा में गुजारे. वर्ष 1997 में 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.

रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक, किसी को संत घोषित करने के लिए उसके दो चमत्कार साबित होना जरूरी है. पहले चमत्कार के बाद उस व्यक्ति को धन्य घोषित किया जाता है. उसके बाद दूसरे चमत्कार की पुष्टि होने के बाद उसे संत का दर्जा दे दिया जाता है. मदर के निधन के छह साल बाद वर्ष 2003 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की एक आदिवासी युवती मोनिका बेसरा और उसके चिकित्सक के दावों के बाद तत्कालीन वैटिकन प्रमुख पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर को धन्य घोषित किया था. मोनिका का दावा था कि मदर के आशीर्वाद से उसे कैंसर की बीमारी से निजात मिल गई है. चर्च ने जांच के बाद उस दावे को सही पाया था. मदर को संत का दर्जा देने की प्रक्रिया में वैटिकन ने अपने कई नियमों में ढील दी थी. लेकिन दूसरे चमत्कार वाले प्रावधान से छूट नहीं दी जा सकती. दूसरे चमत्कार को मान्यता मिलने के बाद अब अगले साल मदर को संत की उपाधि से नवाजा जाएगा.

मदर के दूसरे चमत्कार का यह मामला ब्राजील से सामने आया है. वहां एक व्यक्ति दिमागी बीमारी से पीड़ित था. लेकिन वह मदर की प्रार्थना से ही पूरी तरह दुरुस्त हो गया. वैटिकन ने विभिन्न पहलुओं से इस मामले की जांच के बाद इसे चमत्कार के तौर पर मान्यता दी है. उसके बाद ही पोप फ्रांसिस ने मदर को संत का दर्जा देने का फैसला किया है.

कोलकाता के पूर्व आर्कबिशप हेनरी डिसूजा बताते हैं, "यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है. किसी को संत का दर्जा देने से पहले चर्च को इस बात का पूरा भरोसा होना चाहिए कि वह व्यक्ति सचमुच एक संत था. कई बार तो यह प्रक्रिया पूरी होने में दशकों लग जाते हैं." डिसूजा के मुताबिक, यह सौभाग्य की बात है कि मदर के मामले में पहला चमत्कार सामने आने के 12 साल बाद ही दूसरे चमत्कार की पुष्टि हो गई है. कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर स्थित कैथीड्रल के बिशप सल्वाडोर लोबो कहते हैं कि कुछ मामलों में यह इंतजार लंबा हो सकता है. वह कहते हैं, ‘दुनिया के कई देशों से मदर के चमत्कार की खबरें मिलती रही हैं. लेकिन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक कुछ मानदंडों पर खरा उतरने के बाद ही उनको चमत्कार माना जा सकता है.' लोबो कहते हैं कि चमत्कार उसे ही माना जाता है जिसकी कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं हो सके.

फादर सीएम पाल वर्ष 2003 में मदर को धन्य घोषित करने के समारोह में वैटिकन में मौजूद थे. वह बताते हैं, 'अगले साल मदर को संत घोषित करने का समारोह भव्य होने की उम्मीद है. वर्ष 2003 में वहां आयोजित समारोह में कोई तीन लाख लोग जुटे थे.' उनको उम्मीद है कि अगले साल वैटिकन में होने वाले समारोह में इससे कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ेगी.