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मस्टर्ड गैस से नमक

५ अप्रैल २०१४

सीरिया में मिली जहरीली मस्टर्ड गैस के अवशेषों से जर्मनी नमक बनाएगा. जर्मनी को जहरीली गैसों और रासायनिक हथियारों को खत्म करने का पुराना अनुभव है.

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तस्वीर: DW/A. Drechsel

पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दशकों के बाद भी रासायनिक हथियार मिल रहे हैं. ये या तो 1915 से 1918 के बीच के गैस युद्ध के हैं या फिर 1940 के दौर के रासायनिक हथियार हैं. वैसे तो 1939 से 1945 के बीच किसी तरह के रासायनिक हथियार युद्ध में इस्तेमाल नहीं किए गए थे लेकिन जर्मनी और उसके सहयोगियों के पास मस्टर्ड गैस, ताबुन नर्व एजेंट और सारिन गैस के भारी भंडार थे. दोनों युद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी में सैकड़ों टन बम और रसायन से भरे ड्रम या तो समंदर में फेंक दिए गए या फिर जमीन में दफना दिए गए.

जब ये ड्रम तैरते हुए ऊपर आ जाते या घरों के निर्माण के दौरान जमीन के नीचे कुछ मिलता तो उन्हें मुन्स्टर की एक कंपनी को भेज दिया जाता. जीईकेए नाम की सरकारी कंपनी में एक खास तरीके से रासायनित हथियारों और पारंपरिक हथियारों के बड़े जखीरे को नष्ट किया जाता है.

हैम्बर्ग और हनोवर के बीच 167 वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा सैन्य प्रशिक्षण इलाका है. जर्मन सरकार और रक्षा मंत्रालय के पास गेका है. जर्मनी में सिर्फ यहीं रासायनिक हथियारों को नष्ट करने की अनुमति है.

सीरिया का जहर

इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि जर्मन सरकार ने गेका की सेवाएं सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने के लिए दी हैं. रासायनिक हथियारों के प्रतिबंध के लिए काम करने वाले संगठन ओपीसीडबल्यू ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. 2014 के दूसरे हिस्से में ये रासायनिक हथियार मुन्स्टर भेजे जाएंगे. सीरिया से करीब 21 टन जहरीली मस्टर्ट गैस के अवशेष जर्मनी भूमध्यसागर और रेल से उत्तरी जर्मनी भेजे जाएंगे, 20 फुट के होल्डिंग टैंक्स में.

GEKA Munster Entsorgung chemi­scher Kampfstoffe und Munition
रासायनिक हथियारों की प्रोसेसिंगतस्वीर: DW/A. Drechsel

मस्टर्ड गैस की न्यूट्रलाइजेशन प्रक्रिया भूमध्यसागर में अमेरिकी जहाज, केप रे पर होगी. यहां 21 टन सल्फ्युरस एजेंट प्रेशर, गर्म पानी और सोडियम हाइड्रोक्साइड सोल्यूशन के जरिए 370 टन हाइड्रोलिसेट में बदल दिया जाएगा. जानकारों को इसमें लाभ भी लगता है. गेका के अनुभव और विशेषज्ञता के कारण इसका मुन्स्टर में होना भी एक फायदा है. क्योंकि यह बाहरी हिस्से मे हैं.

370 टन हाइड्रोसाइलेट की भाप बनने में पांच महीने लगेंगे. जहरीले तरल को एक खास भट्टी में छिड़का जाता है जिसमें 1,000 डिग्री सेल्सियस तापमान होता है. अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये तरल बहावदार होना चाहिए. क्योंकि इससे टोंटी में जमाव का खतरा कम हो जाता है. गेका के तकनीकी मैनेजर कहते हैं," हमें लिक्विड वेस्ट के लिए एक अतिरिक्त सिस्टम लगाना पड़ा क्योंकि मूल रूप से यह कारखाना इस तरह के लिक्विड के लिए डिजाइन नहीं किया गया था. लेकिन कोई बड़ी तकनीकी समस्या नहीं है.

पूरी प्रक्रिया खत्म होने के बाद ये जहरीली मस्टर्ड गैस भाप और नमक में बदल जाएगी. न्यूट्रलाइजेशन की प्रक्रिया की दौरान नमक मिलाया जाता है. इसके बाद जर्मनी में ये नमक जमीन के नीचे बैरल में बंद करके रखे जाते हैं. ये प्रक्रिया पूरी होने में अगला साल लग जाएगा. फिर ये जर्मनी के थ्यूरिंजिया में सोंडरहाउजेन टाउन के अंडरग्राउंड स्टोरेज में चले जाएंगे.

रिपोर्टः आलेक्जांडर ड्रेख्सेल/एएम

संपादनः ईशा भाटिया