मौसम ले रहा किसानों की जान
१९ मार्च २०१४महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में मौसम ने ऐसा खेल खेला कि करोड़ों रुपये की फसलें बर्बाद हो गई. बेमौसम बारिश और भारी ओलावृष्टि के कारण फसलों को बहुत नुकसान हुआ है. फरवरी के आखिर में असामान्य मौसम के कारण फसल बर्बाद हो गई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने सात किसानों की आत्महत्या की पुष्टि की है. लेकिन विपक्ष और समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि संख्या कहीं अधिक है. किसानों की वकालत करने वाले समूह विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी के मुताबिक, "ओलावृष्टि के बाद महाराष्ट्र में 32 लोगों ने (किसानों ने) खुदकुशी की है. हमें हर घंटे लोगों से जानकारी मिल रही है. " वहीं विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को कहा है कि आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है. बीजेपी ने मांग कि है इस प्राकृतिक आपदा को "राष्ट्रीय आपदा" घोषित किया जाए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के मुताबिक, "28 फरवरी से ओलावृष्टि के शुरु होने के बाद से 17 जिलों में रबी की पूरी फसल बर्बाद हो गई है."
मौसम की बेरुखी
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक अंगूर के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है. लेकिन अन्य फलों की फसलें जैसे आम, पपीता, नींबू और तरबूज भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं. खुदकुशी करने वालों में 62 वर्षीय कर्जदार बापू रामचंद्र पवार भी हैं. अनार की फसल बर्बाद होने के बाद उन्होंने जहर खाकर अपनी जान दे दी. आगामी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुरुवार को प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाले हैं. ऐसी संभावना है कि मोदी महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में एक रैली को संबोधित करें. विदर्भ इलाका किसानों की खुदकुशी के लिए बदनाम है. खराब मौसम से हुए नुकसान की भरपाई के लिए महाराष्ट्र के मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर 5,000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद मांग की है.
एए/एएम (एएफपी, पीटीआई)