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महिला पर्यटकों की घटती संख्या पर चिंता

प्रभाकर२६ मार्च २०१६

भारत में दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद से ही महिला पर्यटकों की आवक लगातार घट रही है. व्यापार संगठन एसोचैम और पर्यटन एजेंसियों ने सुरक्षा परिदृश्य को इसकी प्रमुख वजह बताया है.

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Indien Touristinnen in New Delhi
तस्वीर: uni

संसद की एक स्थायी समिति ने भी इसके लिए विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा, कुशल श्रमशक्ति, रहने के लिए जगह के अभाव और आधारभूत ढांचे की कमी को जिम्मेदार ठहराया है.

दिल्ली में दिसंबर 2012 में चलती बस में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद खासकर विदेशी महिला पर्यटकों की आवक में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. इस कांड के बाद अगले तीन महीनों के दौरान यह गिरावट 35 फीसदी थी. बाद में हालत में मामूली सुधार आया. लेकिन इसे उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता. महिला पर्यटकों की आवक में वर्ष 2013 में 11.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी लेकिन अगले साल यानी 2014 में यह घट कर 9.7 फीसदी रह गई. इस दौरान कुल विदेशी पर्यटकों की आवक में तो 10 फीसदी इजाफा दर्ज किया गया. लेकिन महिलाओं की तादाद लगातार घटती रही. विदेशी महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अपराध भी इसकी एक प्रमुख वजह रहा. नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आकड़ों के मुताबिक, बीते साल के दौरान विदेशी महिला पर्यटकों के साथ हुए कुल 384 मामले दर्ज किए गए. इनमें सबसे ज्यादा मामले 135 मामले राजधानी दिल्ली में हुए. उसके बाद गोवा (66) और उत्तर प्रदेश (64) का स्थान रहा. पर्यटन एजेंसियों का कहना है कि जब दिल्ली में ही विदेशी महिलाएं सुरिक्षत नहीं हैं तो बाकी जगहों की स्थिति समझी जा सकती है.

पर्यटन उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि खासकर निर्भया कांड के बाद विदेशी महिलाएं भारत की बजाय मलेशिया, सिंगापुर, दुबई और श्रीलंका जैसे देशों को तरजीह दे रही हैं. उनका कहना है कि सुरक्षा इसकी एकमात्र नहीं लेकिन सबसे बड़ी वजह है. संसद की एक स्थायी समिति ने महिला पर्यटकों की घटती आवक के लिए सुरक्षा, पर्यटन उद्योग में प्रशिक्षित कामगारों के अभाव, रहने के समुचित स्थान की कमी, पर्यटन स्थलों पर साफ-सफाई की कमी, पर्यटन मंत्रालय की ओर से धन के समुचित इस्तेमाल और निजी निवेशकों समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों की ओर से पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने की इच्छाशक्ति की कमी जैसे कई कारण गिनाए हैं. हाल में संसद में पेश इस रिपोर्ट में वृद्धि दर में लगातार होने वाली इस गिरावट पर चिंता जताते हुए सरकार से इस पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र प्रभावी कदम उठाने को कहा गया है.

सरकार की दलील

पर्यटन मंत्रालय का दावा है कि उसने भारत के महिलाओं के लिए खतरनाक देश होने की छवि को बदलने के लिए हाल में कई कदम उठाए हैं. इनमें कई भाषाओं में चौबीसों घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन के अलावा पर्यटन स्थलों पर पर्याप्त तादाद में पुलिस के जवानों को तैनात करना शामिल है. यह हेल्पलाइन दस अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में काम करती है. केंद्र ने राज्य सरकारों को भी खासकर महिला पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, पर्यटन मंत्रालय विदेशी पर्यटकों के भारत पहुंचने पर उनको जीपीएस लगे सिम कार्ड मुहैया कराने की योजना पर भी विचार कर रही है. पर्यटन मंत्री महेश शर्मा कहते हैं, "विदेशी महिला पर्यटकों की सुरक्षा हमारे लिए एक गंभीर मुद्दा है. हम इस मामले में कई कदम उठा रहे हैं. बहुभाषी हेल्पलाइन शुरू करना इसी कवायद का हिस्सा है." शर्मा का कहना है कि भारतीय संस्कृति व पहनावा पश्चिम के मुकाबले भिन्न है. इसलिए हमने विदेशी महिलाओं के लिए जरूरी सलाह भी जारी की है.

भारत सरकार ने विदेशों में, खासकर पश्चिमी देशों में महिलाओं की सुरक्षा पर भारत की छवि सुधारने की दिशा में भी कदम उठाने शुरू किए हैं. पश्चिमी देशों के भारतीय दूतावासों के अधिकारी स्थानीय मीडिया में महिलाओं पर हमलों से संबंधित रिपोर्टों के प्रभाव को कम करने के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास में महिलाओं की भूमिका संबंधी रिपोर्ट शामिल करवाने की पहल कर रहे हैं. इसके अलावा जर्मनी जैसे देशों के दूतावास में फेसबुक और ट्विटर पर स्थानीय फॉलोवर्स जुटाने की कोशिश हो रही है ताकि स्थानीय लोगों को सीधे जोड़ा जा सके.

उपेक्षित रवैया

जमीन पर असर दिखाने के लिए सरकारी पहलों में सामंजस्य की भी जरूरत है. पर्यटन मंत्रालय ने कुछ समय पहले प्रमुख पर्यटन केंद्रों के लिए पर्यटन पुलिस के गठन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब तक महज 13 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने ही इस पर अमल किया है. दो साल पहले महिला पर्यटकों की आवक में गिरावट की वजहों का अध्ययन करने वाले व्यापार संगठन एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत कहते हैं, "सरकार विदेशी पर्यटकों से डालर की कमाई तो करना चाहती है. लेकिन उनकी सुरक्षा को और बेहतर बनाने की दिशा में कोई ठोस उपाय नहीं कर रही है. नतीजतन खासकर विदेशी महिलाएं भारत की बजाय मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे दूसरे एशियाई देशों का रुख कर रही हैं."

पर्यटन उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार कानून तो बना देती है, लेकिन उस पर अमल हुआ या नहीं, इसकी निगरानी के लिए कोई ठोस तंत्र नहीं है. पर्यटन उद्योग का कहना है कि इस परिस्थिति में सुधार के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को मिल कर ठोस कदम उठाने होंगे. ऐसा नहीं हुआ तो धीरे-धीरे इस उद्योग की कमर टूट जाएगी.