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मां बाप ही निकले आरुषि के कातिल

२५ नवम्बर २०१३

आखिरकार साढ़े पांच साल बाद आरुषि और हेमराज के कातिलों का पता चल गया है. सीबीआई कोर्ट ने आरुषि के माता पिता को दोहरे हत्याकांड के लिए दोषी ठहराया है.

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Indian defendant Rajesh Talwar (L) heads to court in Ghaziabad, some 30 kms east of New Delhi, on November 25, 2013. A judge is due to deliver his verdict November 25 on a prosperous dentist couple accused of murdering their teenage daughter and servant in a trial that has obsessed India for five years. Rajesh and Nupur Talwar are charged with killing Aarushi, 14, and 45-year-old Nepalese employee Hemraj by slitting their throats "with clinical precision" at their home in an affluent New Delhi suburb in 2008. AFP PHOTO/STR (Photo credit should read STRDEL/AFP/Getty Images)
तस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images

भारत की सबसे बड़ी मर्डर मिस्‍ट्री आरुषि-हेमराज हत्याकांड में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि तलवार के माता-पिता को दोषी करार दिया है. पेशे से दंत चिकित्सक तलवार दंपति हत्या, सबूत मिटाने और अन्य अपराधों के दोषी साबित हुए. आरुषि के पिता राजेश तलवार को झूठी एफआईआर दर्ज कराने का भी दोषी करार दिया गया.

सजा मंगलवार को सुनाई जाएगी. सीबीआई ने दोनों को कड़ी से कड़ी सजा देने की वकालत की है. सोमवार को फैसले के वक्त कोर्ट में मौजूद वकील मनोज कुमार राय ने पत्रकारों को बताया कि, "तलवार दंपति हत्या के दोषी पाए गए हैं. दोनों सबूत मिटाने के भी दोषी पाए गए.''

करीब साढ़े पांच साल की सुनवाई के बाद अदालत ने डॉक्टर राजेश और नूपुर तलवार को अपनी 14 साल की बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज बंजाड़े की हत्या के लिए दोषी करार दिया. 15 मई, 2008 की रात दिल्ली से सटे नोएडा में आरुषि और हेमराज की हत्या की गई. दोनों के गले किसी धारदार औजार से काटे गए थे. विशेष सीबीआई अदालत के जज श्याम लाल ने जब दोनों को दोषी ठहराया तो वे रोने लगे. फैसला सुनाए जाने के बाद तलवार दंपति ने एक बयान जारी किया, जिसे कोर्ट के बाहर मौजूद पत्रकारों को बांटा गया. लिखित बयान में तलवार दंपति ने कहा, ''जो अपराध हमने किया ही नहीं, उसकी सजा सुनाए जाने से हम आहत हैं. हम इस हार को नहीं मानेंगे और अपने लिए न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे."

साढ़े पांच साल बाद आरुषि को इंसाफ

जांचकर्ताओं के मुताबिक मई 2008 में आरुषि और 45 साल के नौकर हेमराज को तलवार दंपति ने 'आपत्तिजनक' हालत में देखा तो उनका गुस्सा बर्दाश्त से बाहर हो गया. इसके बाद हत्याकांड को अंजाम दिया गया. हालांकि तलवार दंपति ने हमेशा से कहा कि वो पुलिस की नाकामी और मीडिया के असंवेदनशील रुख का शिकार हुए हैं.

New Delhi Mord Arushi
14 साल की आरुषि की हत्या हुई थीतस्वीर: AP

आरुषि और हेमराज की हत्या ने देश ही नहीं विदेशी मीडिया में भी सुर्खियां बंटोरी. हर घर में डबल मर्डर पर चर्चा होने लगी और लोग असली कातिल कौन हैं इस पर बहस करते दिखे. अभियोजन पक्ष ने इस बात को स्वीकार किया था कि तलवार दंपति के खिलाफ न तो फॉरेंसिक सबूत हैं और ना ही ठोस साक्ष्य लेकिन अभियोजन पक्ष ने अपने केस को ''आखिरी बार साथ देखने के सिद्धांत'' पर खड़ा किया. जिसके मुताबिक हत्याकांड के दौरान आरोपी मौके पर ही मौजूद थे.

आरुषि का शव उसके बिस्तर पर पड़ा था. शुरुआत में तलवार दंपति ने कहा कि नौकर हेमराज उनकी बेटी को मारकर नेपाल भाग गया है. पुलिस ने भी इसे सच समझा लेकिन दूसरे ही दिन हेमराज की लाश घर की छत पर मिली. हेमराज का भी गला कटा हुआ था और उसके सिर पर चोट के निशान थे. जांच में जुटी उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुरू में बहुत गड़बड़ियां की. क्राइम सीन को पुलिस ने सील नहीं किया, जिस कारण परिवार के सदस्य और बाहरी लोग सबूतों को रौंदते नजर आए. साथ ही पुलिस ने छत पर जाने की भी जरूरत नहीं समझी जहां हेमराज की लाश पड़ी थी. बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई. ठोस सबूतों के अभाव में सीबीआई ने भी 2010 में केस को बंद करने की अर्जी दी, लेकिन अदालत ने केस बंद करने से मना कर दिया.

एए/ओएसजे (एएफपी/पीटीआई)