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माओवादी हमले में 76 जवानों की मौत

७ अप्रैल २०१०

छत्तीसगढ़ प्रदेश के दांतेवाडा ज़िले में घात लगाकर हमला करते हुए माओवादी विद्रोहियों ने सीआरपीएफ़ के कम से कम 76 जवानों की हत्या कर दी है. गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा बलों के अभियान में कोई चूक हुई है.

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माओवादियों के ख़िलाफ़ अभियानतस्वीर: dpa

स्थानीय समय के अनुसार सुबह 6 बजे के बाद दांतेवाडा ज़िले के ज़गली इलाके में एक सीआरपीएफ़ टुकड़ी पर माओवादियों ने हमला किया. उंची पहाड़ियों से बंदूक और विस्फोटकों से ये हमले किए गए. इसे पिछले समय में माओवादियों की ओर से सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है.

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड व छत्तीसगढ़ के व्यापक इलाकों में माओवादी छापामार सक्रिय हैं. प्रदेश सरकार की ओर से अब तक दावा किया जा रहा था कि छत्तीसगढ़ में काफ़ी हद तक उनकी कमर तोड़ दी गई है. आज के हमले से स्पष्ट हो गया कि बीहड़ इलाकों मे उनका असर ज्यों का त्यों बना हुआ है. सशस्त्र बलों के लिए भी ये इलाकें ख़तरनाक बने हुए हैं.

आज के माओवादी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रादेशिक सरकार के साथ मिलकर सीआरपीएफ़ के इस अभियान की तैयारी की गई थी. लेकिन कहीं कोई भयानक ग़लती हुई है. ऐसा लगता है कि वे माओवादियों के किसी कैंप के पास पहुंच गए थे या किसी फ़ंदे में फ़ंस गए थे. इस घटना से माओवादियों की नृशंसता स्पष्ट हो जाती है.

बाताया जाता है कि सीआरपीएफ़ के 120 जवान अपनी गाड़ियों में टाडेमेटला की ओर जा रहे थे. सुकमा ब्लॉक में चिंतलनार और टाडेमेटला के बीच बारुदी सुरंग के विस्फोट के ज़रिये सबसे पहले उनका रास्ता रोक दिया गया. उसके बाद पहाड़ियों के उपर से माओवादियों ने गोलियां बरसाना शुरु किया. नक्सल विरोधी अभियान के लिए सीआरपीएफ़ के डीआईजी एस आर पी कल्लुरी ने कहा कि कुल मिलाकर सीआरपीएफ़ के 72 जवानों व छत्तीसगढ़ के एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई है. बहरहाल, प्रदेश के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है.

जवानों की मदद के लिए अतिरिक्त कुमक भेजी गई है. लेकिन माओवादियों ने पहाड़ों के उपर बंकर बना लिया है. उन्होंने पूरे इलाके को घेर लिया है. प्राप्त समाचारों के अनुसार इस हमले में सैकड़ों माओवादी छापामार शामिल थे. अभी तक पता नहीं चला है कि इस संघर्ष में कितने माओवादी मारे गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: राम यादव