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भारतीय बनेंगे कुशल कामगार

१५ जुलाई २०१५

मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के बाद भारत सरकार ने स्किल इंडिया अभियान शुरू किया है. 1.27 अरब आबादी वाले भारत में आधी संख्या युवाओं की है, जो नौकरी के लिए तमाम तरह के धक्के खाते हैं.

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तस्वीर: Reuters

"चलो, मानव संसाधन के मामले में भारत को दुनिया की राजधानी बना दें," भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्किल इंडिया अभियान की शुरूआत इन्हीं शब्दों में की. "वर्ल्ड यूथ स्किल डे" के मौके पर उन्होंने कहा कि चीन निर्माण के मामले में दुनिया की राजधानी है, भारत मानव संसाधन के मामले में ऐसा करके दिखाएगा.

मोदी ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को किसी कौशल को सीखने के लिए प्रेरित करें, ऐसा करने से बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे. देश की युवा आबादी की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है, अगर वह सक्षम नहीं हुई तो आने वाली चुनौतियां का सामना कैसे करेगी."

Indien Textilfabrik
तस्वीर: Andrew Caballero-Reynolds/AFP/Getty Images

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 211 ट्रेनिंग पार्टनरों की मदद से 3,026 कौशल केंद्र खोले जा चुके हैं. अब तक 52 लाख से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) चला रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी संख्या में कुशल कामगारों की जरूरत है. एनएसडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 तक 1.5 करोड़ लोग ऑटोमोबाइल उद्योग में काम कर रहे होंगे. यूरोप, जापान और अमेरिका में भी कुशल कामगारों की लगातार जरूरत बनी रहती है.

कई राज्यों ने भी इससे जुड़े कार्यक्रम शुरू किए हैं. केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने इस मौके पर देश के पहले सामुदायिक कौशल पार्क का उद्घाटन किया. चांडी ने कौशल निर्माण और रोजगार के लिए नई पीढ़ी की सोच पर बल दिया, "कौशल केंद्र युवाओं को जरूरी बल देंगे और सरकार इस योजना को खुशी से पूरा सहारा देगी." हरियाणा ने भी ऐसा भी अभियान शुरू किया है.

केंद्रीय मंत्रालय भी इस अभियान से जुड़ रहे हैं. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भारतीय रेल को कौशल विकास से जोड़ने का एलान किया. रेलवे की संपत्ति का इस्तेमाल कौशल विकास ट्रेनिंग के लिए किया जाएगा.

ओएसजे/आईबी (पीटीआई)