मिस्र के आगे उधार का पहाड़
२५ दिसम्बर २०१२दिवालिया हो रहे मिस्र को आर्थिक मुश्किलों बचाने के लिए मुर्सी को सरकारी खर्च में कटौती के अलावा बचत कार्यक्रम शुरू करने होंगे, लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है कि नए संविधान से समाज बिलकुल बंट गया है और भले ही मुर्सी के इस्लामवादी संविधान को 64 प्रतिशत लोगों ने अपनी स्वीकृति दी है, लेकिन ज्यादातर लोगों को बचत कार्यक्रमों के लिए एक करना मुश्किल होगा.
आर्थिक विश्लेषक अम्र आडली कहते हैं कि बचत कार्यक्रमों के लिए आम तौर पर राजनीतिक सहमति चाहिए होती है और मिस्र का राजनीतिक ढांचा अब जाकर खुला है और लोगों को अब जाकर मतदान देने का मौका मिला है. मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 4.8 अरब डॉलर की मदद ली है, इसे चुकाने के लिए उसे बड़े स्तर पर बचत करनी होगी. आडली कहते हैं कि मुर्सी के विरोधी उनके द्वारा प्रस्तावित बचत कार्यक्रमों को पारित होने से रोकने की कोशिश करेंगे और कोशिश करेंगे कि जनता मुस्लिम ब्रदरहुड के खिलाफ हो जाए.
आडली की बात का सबूत देते हैं नैशनल फ्रंट के अहमत सईद, "मुर्सी ने जो किया, उसके बाद हम एक हुए." दो महीनों में दोबारा संसद चुनाव होने जा रहे हैं. आर्थिक सुधार के बारे में सईद कहते हैं कि मुर्सी ने उनकी पार्टी को अब तक बातचीत के लिए नहीं बुलाया है, बावजूद इसके कि मुर्सी को सब की सहमति की जरूरत होगी.
मुर्सी के लिए करों में बढ़ोतरी करना काफी मुश्किल होगा. साथ ही पेट्रोल से सबसिडी हटाना भी एक बड़ी चुनौती खड़ी कर सकता है. संविधान के लिए जनमत संग्रह के दौरान ही मुर्सी को आने वाली मुश्किलों का अंदाजा हो गया होगा. उस वक्त उन्होंने शराब, सिगरेट और मोबाइल फोन पर बातचीत के लिए पैसे बढ़ाए थे लेकिन मीडिया और लोगों से विरोध के बाद इन्हें वापस लेना पड़ा. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उधार मिलने में भी वक्त लगा.
मिस्र कभी निवेशकों को बेहद पसंद आता था. लेकिन पिछले सालों में बजट घाटा 11 प्रतिशत तक पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 15 अरब डॉलर हो गया है. अब मुर्सी के पार्टी सहयोगी एक साथ मिलकर काम करने पर जोर दे रहे हैं.
एमजी/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)