मुर्सी सहित 700 की सुनवाई
२५ मार्च २०१४वकीलों का कहना है कि वे उस जज को हटाने की मांग करते हैं, जिसने सिर्फ दो सुनवाई के बाद ही सोमवार को इतने लोगों को मौत की सजा सुनाई है. यह मुकदमा मिनया शहर में चला था. कानूनी जानकारों का कहना है कि इस अभूतपूर्व फैसले के खिलाफ अपील के बाद इसे बदल दिए जाने की संभावना है.
मिस्र में इस तरह का फैसला आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आलोचना हो रही है. मिस्र के मौजूदा सैनिक शासन ने पूर्व नेताओं सहित करीब 2000 लोगों को जेल में रखा है और उनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं. सेना ने पिछले साल जुलाई में मुर्सी का सत्ता पलट दिया था.
पिछले साल का मामला
मिनया में जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें से ज्यादातर पर एक पुलिस चौकी पर हुए हमले में पुलिसवालों की हत्या या हत्या के प्रयास का केस था. मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख मुहम्मद बादी पर भी मुकदमा चल रहा है. सोमवार को सुनाए गए फैसले के बाद मानवाधिकार संगठनों ने इस पर एतराज जताया है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने फैसले पर सवाल उठाया है, जिसमें एक साथ इतने लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है.
हालांकि देश की सैनिक सरकार ने फैसले को जायज ठहराया है और उसका कहना है कि मामले को गहराई से समझने के बाद ही यह कदम उठाया गया है. जिन 529 लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें से सिर्फ 153 ही हिरासत में हैं. बाकी की गैरमौजूदगी में सजा सुनाई गई. अगर वे हाजिर होते हैं, तो उनका मुकदमा फिर से चलेगा. कुल 17 आरोपियों को रिहा कर दिया गया.
करनी होगी अपील
कानूनी जानकार जमाल ईद का कहना है कि ऊपरी अदालत में इसके खिलाफ अपील की जा सकती है, "यह एक वीभत्स फैसला है और ऐसा स्कैंडल है, जो मिस्र को कई बरसों तक खलेगा." वकील खालिद अल कौमी ने बताया कि वे लोग जज को बदलने की मांग कर रहे हैं. मिस्री मीडिया का कहना है कि जज सैद यूसुफ साबरी का इतिहास रहा है कि उन्होंने बेहद कड़ी सजाएं सुनाई हैं. एक युवक ने जब दुकान से महिलाओं की पोशाक चुराई, तो उन्होंने उसे 30 साल की सजा सुनाई थी.
अमेरिका ने सवाल किया है कि सिर्फ दो सुनवाई में अदालत इस तरह की सजा कैसे सुना सकती है. इस पर शनिवार को सुनवाई शुरू हुई और सोमवार को दूसरी सुनवाई में फैसला आ गया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मेरी हार्फ ने कहा, "यह तर्क से परे है."
यूरोपीय संघ में विदेश मामलों की प्रभारी कैथरीन ऐश्टन ने मांग की है कि आरोपियों को न्याय मिलना चाहिए. एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल मुर्सी के समर्थकों पर हुई कार्रवाई में 1400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. मंगलवार की सुनवाई के बाद इस मामले की अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी.
एजेए/एमजे (एएफपी)