मुलायम ने मांगी मुसलमानों से माफ़ी
१५ जुलाई २०१०गुरुवार को मुलायम ने अपने माफीनामे में कहा है, "मेरा उनका जीवन खुली किताब है और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मैंने हमेशा संघर्ष किया है. इन शक्तियों को परास्त करने में पूरी निष्ठा से काम किया है. 1990 में मुख्यमंत्री रहते हुए बाबरी मस्जिद बचाई . बाद में सांप्रदायिक शक्तियों ने 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दी . सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद ढहाने के लिए जिसे दोषी ठहराया उससे ही पिछले लोकसभा चुनाव से पहले हमने हाथ मिला लिया."
मुलायम सिंह ने कहा कि उन्होंने केंद्र में सांप्रदायिक शक्तियों की सरकार बनने से रोकने के लिए गलत लोगों से हाथ मिला लिया था. उन्होंने यह भी माना कि उनके इस कदम से मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को दुख पहुंचा. उनके मुताबिक, " इसे मैं अपनी गलती मानता हूं. हालांकि मैं मस्जिद गिराने के दोषी लोगों को भविष्य में फिर कभी साथ न लेने की पहले ही घोषणा कर चूका हूं."
समाजवादी पार्टी के 19 से 21 अगस्त 2009 तक चले आगरा सम्मेलन में मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह को बाकायदा मंच पर बिठाया था और उन्हें पार्टी की लाल टोपी पहना कर 'कल्याण सिंह जिंदाबाद' के नारे लगवाए थे. उन दिनों समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह सिंगापुर में अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करा रहे थे. हालांके बाद में जब अमर सिंह को पार्टी से निकला गया तो उन्होंने भी कहा कि कल्याण को पार्टी में लाने के लिए वह नहीं बल्कि खुद मुलायम ज़िम्मेदार हैं.
कल्याण सिंह को साथ लेने का खामियाजा मुलायम सिंह को भुगतना पड़ा था और लोकसभा में उनकी सीटों कि संख्या घटकर 21 रह गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कल्याण फैक्टर का फायदा बीएसपी ने उठाया और लगभग सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर उसे जीत मिली. हाल ही में राज्यसभा भेजे गए समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष रशीद मसूद भी सहारनपुर से भी हार गए थे. इसके बाद उत्तर प्रदेश में करीब 18 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी को मात्र एक सीट ही हासिल हो सकी है.
पार्टी के मुस्लिम चेहरे और इसके संस्थापकों में से एक आज़म खान ने भी इसी कारण पार्टी छोड़ दी. मुलायम सिंह का मुस्लिम जनाधार बुरी तरह खिसका और फिरोजाबाद में नवंबर 2009 में हुए संसदीय उपचुनाव में जब मुलायम सिंह की बहू और पार्टी की उत्तर प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष अखिलेश यादव कि बीवी डिम्पल यादव कांग्रेस के राज बब्बर के हाथों हार गईं तो पार्टी को बड़ा धक्का लगा था. इसी के बाद से पार्टी के जनाधार को दोबारा खड़ा करने कि कोशिश शुरू हुई है.
रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ
संपादनः ए कुमार