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मेरे भारतीय मूल का कोई महत्व नहीं: श्रीधरन

केट ब्रैडी/ईशा भाटिया१५ सितम्बर २०१५

बॉन में मेयर का चुनाव जीत कर सीडीयू पार्टी के अशोक आलेक्सांडर श्रीधरन ने इतिहास तो रचा है लेकिन इसलिए नहीं कि वे भारतीय मूल के हैं, बल्कि इसलिए कि पहली बार जर्मनी में किसी आप्रवासी ने यह पद संभाला है.

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Deutschland Oberbürgermeisterwahl Ashok-Alexander Sridharan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg

जर्मनी की पूर्व राजधानी बॉन में 21 साल बाद सीडीयू पार्टी यानि क्रिस्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन ने जीत हासिल की है. अब तक यहां एसपीडी यानि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के ही उम्मीदवार मेयर के पद पर रहे हैं. सीडीयू चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी है. सीडीयू के अशोक आलेक्सांडर श्रीधरन को रविवार को हुए चुनावों में 50.06 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल हुई.

कौन हैं श्रीधरन

अपने चुनाव प्रचार में उन्होंने खुद को "बॉन का बेटा" कह कर प्रस्तुत किया. श्रीधरन के पिता भारतीय हैं और मां जर्मन. 1950 के दशक में उनके पिता भारतीय राजनयिक के पद पर जर्मनी आए. 1965 में अशोक श्रीधरन का जन्म हुआ. स्कूल और यूनिवर्सिटी की शिक्षा भी उन्होंने बॉन ही में प्राप्त की. वे कैथोलिक ईसाई हैं, इसीलिए उनके नाम के बीच ईसाई नाम आलेक्सांडर मौजूद है.

भारतीय कम, जर्मन ज्यादा

भारत में मीडिया ने उन पर बहुत ध्यान दिया है. एक भारतीय का जर्मनी में मेयर बनना काफी सुर्खियां बटोर रहा है. लेकिन भारतीय मीडिया के दावों के विपरीत श्रीधरन खुद को भारतीय कम और ज्यादा जर्मन मानते हैं. डॉयचे वेले को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार में उनके भारतीय मूल का कोई महत्व नहीं रहा, "मेरे लिए यह कोई मायने नहीं रखता. मैंने इस बारे में सोचा तक नहीं क्योंकि चुनाव से इसका (भारतीय मूल) का कोई लेना देना नहीं था. यह अच्छी बात है कि भारत में लोग इस बात में रुचि दिखा रहे हैं कि किसने बॉन में मेयर का चुनाव जीता है. मुझे लगता है कि इस तरह से बॉन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा लोग पहचानने लगेंगे और यह हमारे लिए अच्छा ही है." श्रीधरन का कहना है कि क्योंकि बॉन में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं, इसलिए भारत में मिल रही प्रसिद्धि बॉन के लिए फायदेमंद साबित होगी.

बॉन की ब्रैंडिंग

चुनाव से पहले भी वे बॉन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात करते रहे हैं. अब वे शहर की ब्रैंडिंग करने की तैयारी में हैं, "हमें बॉन के लिए एक पहचान की जरूरत है और मैं बॉन को बेठोफेन की नगरी के रूप में दुनिया भर में मशहूर करना चाहता हूं." जानेमाने संगीतकार लुडविष फान बेठोफेन का जन्म 18वीं सदी में बॉन में ही हुआ था. श्रीधरन को यकीन है कि अपनी मेहनत के बल पर वे ऐसा कर पाएंगे. चुनाव में जीत के पीछे भी वे अपनी इसी लगन को देखते हैं, "मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि मैं बहुत से सार्वजानिक कार्यक्रमों में मौजूद रहा और जितना हो सका मैंने बॉन में लोगों को खुद को जानने का मौका दिया और जाहिर है, यह काम कर गया."

श्रीधरन अब 21 अक्टूबर से अपना नया दफ्तर संभालेंगे.