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मैर्केल का रूस चीन दौरा, बड़े करारों की उम्मीद

१४ जुलाई २०१०

दुनिया की अर्थव्यवस्था जैसे जैसे मंदी से उबर रही है, कारोबार को पटरी पर लाने के लिए नई नई कोशिशें हो रही हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का पांच दिन का रूस और चीन दौरा भी इसी सिलसिले की एक कड़ी है.

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दौरे पर मैर्केलतस्वीर: AP

बुधवार सुबह जर्मन चांसलर मैर्केल रूस दौरे पर रवाना हो गईं. वह येकातेरिनबुर्ग में पीटर्सबर्ग डायलॉग की 10वीं बैठक में रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव से मिलेंगी. रूसी उप प्रधानमंत्री विक्टर सुबकोव का कहना है कि भविष्य में रूस जर्मन संबंध किस तरह के रहेंगे, यह बहुत हद इसी बैठक पर निर्भर करेगा. मैर्केल की इस यात्रा के तहत जर्मनी की विशालकाय इलैक्ट्रोनिक कंपनी सीमेंस 200 ट्रेनों की आपूर्ति के लिए रूस की सरकारी रेल सेवा के साथ समझौता करेगी. यह समझौता लगभग 2.2 अरब यूरो का होगा.

यह भी खबर है कि मैर्केल रूस को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश करेंगी कि वह तुर्की से होकर आने वाली नाबुको गैस पाइपलाइन का विरोध न करे. अभी तक रूस ही यूरोप में ज्यादातर गैस सप्लाई करता है. इसलिए नई पाइप लाइन के आने से उसके गैस व्यापार पर असर पड़ सकता है. साथ ही उम्मीद है कि मैर्केल रूसी नेताओं के साथ होने वाली बातचीत में मानवाधिकार का मुद्दा भी उठाएंगी.

रूस का दौरा पूरा करने के बाद मैर्केल गुरुवार को चीन जाएंगी जहां उनकी मुलाकात चीनी प्रधानमंत्री वेन चियापाओ और राष्ट्रपति हू चिनथाओ से भी होगी. इस दौरे में जर्मन कार निर्माता कंपनी डायमलर और चीनी ट्रक निर्माता कंपनी पेइछी फोटोन मोटर के साथ एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं. चीन के सामाजिक आर्थिक संस्थान में चीन जर्मन संबंधो के विशेषज्ञ लिउ लिछुन कहते हैं कि चीन सरकार सुधार और बाजार खोलने की नीति को दोतरफा विषय मानती है. वह सिर्फ यह नहीं चाहती कि बाहरी कंपनियां चीन में निवेश करें, बल्कि यह भी जरूरी है कि चीनी कंपनियां विदेशों में अपने पैर फैलाएं.

बताया जाता है कि चीन में प्रधानमंत्री वेन ज्यादातर समय चांसलर मैर्केल के साथ ही रहेंगे ताकि यह दिखाया जा सके कि चीन उनकी इस यात्रा को कितनी अहमियत देता है. मैर्केल अपनी यात्रा के आखिर में मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान से होती हुई जर्मनी लौटेंगी. जर्मन अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह चीन की आर्थिक अहमियत लगातार बढ़ती जा रही है और मध्य एशिया में अत्य़धिक प्राकृतिक संसाधन हैं, उन्हें देखते हुए जर्मनी के लिए जरूरी है कि वह इन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करे.

मैर्केल के शिष्टमंडल में जर्मन कार कंपनी फॉल्क्सवागन, सीमेंस, विमान बनाने वाली कंपनी एयरबस, केमिकल ग्रुप बीएसएसएफ, सुपरमार्केट चेन मेट्रो और कॉमर्स बैंक के आला अधिकारी शामिल हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमाल