मॉनसून की बारिश में नहाई दिल्ली
५ जुलाई २०१०जलते सूरज के बाद हिन्दुस्तान के लोगों को बेसब्री से मॉनसून का इंतजा़र रहता है. खेतों से लेकर शेयर बाजारों तक लोग अच्छे मॉनसून की तमन्ना करते हैं. रविवार को आखिरकार मॉनसून ने नई दिल्ली में दस्तक दे ही दी. सोमवार को भी राजधानी रिमझिम बारिश में भीगती खिलखिलाती और राहत की सांस लेती दिखाई दी.
मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में सोमवार दोपहर तक सत्तावन दशमलव आठ मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. आज भी रिमझिम फुहारों की चेतावनी है. मध्यप्रदेश में भी मौसम विभाग ने कहा है कि भोपाल सहित जबलपुर में मॉनसून ने दस्तक दे दी है.
इसी के साथ उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, में लोगों ने राहत की सांस ली. ये सभी इलाके खेती के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण है और इस खेती के लिए मॉनसून की बारिश अहम है.
सोयाबीन, दालों की खेती के लिए इस बारिश का खास महत्व है. पंजाब, हरियाणा, जयपुर, मध्यप्रदेश में बारिश ने थोड़ी राहत पहुंचाई है. उधर आशंका है कि उत्तरपूर्वी राज्यों में बारिश नहीं पहुंचेगी. जिसके कारण धान की खेती को नुकसान पहुंच सकता है.
अभी बारिश की पहली ज़ोरदार फुहारें राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा पंजाब को भिगो रही हैं लेकिन तेज़ी से आई बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है और बिजली आपूर्ति पर असर पड़ा है.
बीस मई के आसपास बंगाल की खाड़ी से शुरू होने वाला मॉनसून का सीज़न 1 जून के आसपास केरल पहुंचा है लेकिन इसके उत्तर भारत तक आते आते थोड़ी देर हो गई है. अक्सर 29 जून के आसपास ये नई दिल्ली पहुंचता है और 15 जुलाई तक पूरे भारत में मॉनसून छा जाता है.
हर बार अतिवृष्टि के कारण बिहार, पश्चिम बंगाल में बाढ़ की भी बहुत ज़्यादा परेशानी होती है और कई लोगों को हर साल अपने घरों, खेतों से हाथ धोना पड़ता है. भारत के वित्तमंत्री भी मॉनसून पर नज़र टिकाए हैं.
उनका मानना है कि इस साल अगर मॉनसून सामान्य रहता है तो भारत की अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष में आठ दशमलव पांच फीसदी से बढ़ेगी. बहरहाल मॉनसून तो मॉनसून है और उस पर भी जलवायु परिवर्तन का कुछ तो असर है ही. देखें कि इंद्र देवता इस ग्लोबल वॉर्मिंग से कैसे निपट पाते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/आभा एम
संपादन: एस गौड़