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"युद्ध जीतना पहली जिम्मेदारी"

ओएसजे/एसएफ (पीटीआई)१५ जनवरी २०१६

"ताकतवर होते सोशलिस्ट चीन को दुश्मन ताकतें बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं," इन्हीं शब्दों के साथ चीन की सेना ने कहा है कि युद्ध जीतना उसकी प्राथमिकता है. बीजिंग ने इशारों इशारों में वॉशिंगटन को भी चेतावनी दी.

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तस्वीर: Reuters/E. Su

चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी के मुखपत्र में छपी कमेंट्री में कहा गया है, "राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के तहत आने वाली सैन्य एजेंसियों के लिए युद्ध जीतना शीर्ष जिम्मेदारी है."

बीजिंग ने सेंट्रल मिलिट्री कमीशन में भी सुधार किये हैं. 15 नई एजेंसियों को इसमें जोड़ा गया है. खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चार नए सैन्य मुख्यालय खोलने पर मुहर लगाई. सुधारों के तहत ज्वाइंट स्टाफ, पॉलिटिकल वर्क, लॉजिस्टिक सपोर्ट, औजार विकास, ट्रेनिंग और नेशनल डिफेंस जैसे छह नए विभाग बनाए गए हैं.

Chinesisches Kriegsgerät U-Boot
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Niu

सैन्य मुखपत्र के मुताबिक, "नए और अहम बदलाव, राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने पहले से ज्यादा जोखिम और चुनौतियां पेश कर रहे हैं." सोशलिस्ट चीन को ताकतवर होता देख "शत्रु ताकतें" देश को बांधने की कोशिश कर रही हैं. चुनौतियों का हवाला देते हुए सैन्य मुखपत्र में सेंट्रल मिलिट्री कमीशन से यह मांग की गई है कि वह युद्ध जीतने के इरादे से सैन्य क्षमता और सेना की क्वालिटी को बेहतर करे. चीन के पास दुनिया के सबसे बड़ी थल सेना है. उसकी सभी सेनाओं में कुल 23 लाख सैन्य कर्मचारी हैं.

China Flughafen auf Yongshu Jiao Insel der umstrittennen Spratly-Insel Gruppe
चीन का कृत्रिम द्वीपतस्वीर: picture alliance/AP Photo/Xinhua/X. Guangli

अमेरिका के साथ रणनीतिक होड़ के साथ ही चीन का अपने पड़ोसियों से भी सीमा विवाद है. दक्षिण में उसका एशिया की दूसरी बड़ी सैन्य शक्ति भारत के साथ विवाद है तो पूर्व में जापान से. वियतनाम, मलेशिया, फिलिपींस, ब्रुनेई और ताइवान के साथ दक्षिण चीन सागर को लेकर झगड़ा है.

अमेरिका और ताइवान के बीच साझा सुरक्षा संधि है. वॉशिंगटन ताइवान को 1.83 अरब डॉलर के आधुनिक हथियार देने जा रहा है. चीन अमेरिकी दूत को समन भेजकर इसका विरोध कर चुका है. वहीं अमेरिकी और चीन के पड़ोसी बीजिंग के कृत्रिम सैनिक द्वीप बनाने से बुरी तरह नाराज हैं.

दक्षिण चीन सागर में बनाए जा रहे इन द्वीपों में चीन अपनी सेना तैनात करना चाहता है. लेकिन हाल के दिनों में अमेरिकी युद्धपोत बीच बीच में उनके आसपास घूम रहे हैं. वॉशिंगटन का कहना है कि समुद्र का यह हिस्सा अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आता है और वहां जाने की हर किसी को आजादी है, बीजिंग इसे नहीं रोक सकता.