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युवा टीम इंडिया का पहला इम्तिहान कल

२७ मई २०१०

ट्वेन्टी 20 वर्ल्ड कप के बुरे सपने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम को शुक्रवार को पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में भिड़ना है. शीर्ष खिलाड़ियों के बगैर टीम इंडिया तीन देशों के वनडे मुकाबले में जिम्माब्वे के खिलाफ खेलेगी.

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सुरेश रैना के हाथ में कमानतस्वीर: AP

नियमित कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आराम कर रहे हैं और युवा टीम की कप्तानी संभालने वाले सुरेश रैना को टीम के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. वनडे विश्वकप सिर्फ नौ महीने बाद खेला जाना है और ऐसे में 50 ओवर के मैच में भारतीय टीम को बहुत कुछ साबित करना है. कप्तान रैना को भी अपने नेतृत्व का टेस्ट देना है. पहला मैच शुक्रवार को बुलावायो में भारत और जिम्बाब्वे के बीच है. मुकाबले की तीसरी टीम श्रीलंका की है.

हालांकि रैना की टीम में सभी युवा खिलाड़ी हैं, जो पूरी तरह फिट हैं. भले ही उनके पास बहुत तजुर्बा नहीं है लेकिन उनके अंदर यह अहसास जरूर होगा कि यहां अच्छा प्रदर्शन उनके लिए टीम इंडिया के रास्ते खोल सकता है. रैना के डिप्टी के तौर पर तेज तर्रार विराट कोहली टीम में मौजूद हैं. कोहली की कप्तानी में भारत ने अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था. लेकिन ट्वेन्टी 20 वर्ल्ड कप में कोहली को शामिल नहीं किया गया था. ऐसे में चंडीगढ़ के इस क्रिकेटर के पास अच्छा मौका है.

बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा और लेग स्पिनर अमित मिश्रा के पास भी टीम में जगह पक्की करने का मौका है. जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है, कप्तान रैना और कोहली के अलावा रोहित शर्मा, यूसुफ पठान और विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक को अपना रोल बखूबी निभाना होगा. कार्तिक हाल के वर्षों में एक बेहतरीन बल्लेबाज बन कर उभरे हैं लेकिन कप्तान धोनी की वजह से टीम में उनकी जगह पक्की नहीं हो पाई है. धोनी भी एक विकेटकीपर हैं और टीम में दो विकेटकीपर नहीं रखे जा सकते.

युवा टीम में एक और विकेटकीपर बल्लेबाज हैं, नमन ओझा. नमन को टीम इंडिया के लिए पहली बार खेलना है, लेकिन उनके पास इस बात का पक्का मौका है कि वह खुद को बेहतर साबित करके भारतीय टीम के रिजर्व विकेट पर के तौर पर स्थापित कर दें. जाहिर है यह काम उन्हें कीपिंग से नहीं, बल्लेबाजी से करना होगा.

टीम इंडिया के सामने सबसे बड़ा संकट तेज गेंदबाजी में आ सकता है. जहीर खान, आशीष नेहरा, श्रीसंत और मुनाफ पटेल जैसे गेंदबाज नहीं हैं. रैना को आर विनय कुमार, अशोक डिंडा, पंकज सिंह और उमेश यादव पर भरोसा करना है. गैर तजुर्बेकार गेंदबाजों से टीम के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है.

हालांकि पंकज सिंह, प्रज्ञान ओझा और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों ने 2007 में जिम्बाब्वे में क्रिकेट खेला है और उन्हें यहां के ग्राउंड का अनुभव है. भारत ने आखिरी बार जिम्बाब्वे में अपनी पहली पंक्ति की टीम 2005-2006 में भेजी थी.

भारतीय टीम में स्टार खिलाड़ियों के न होने से जिम्बाब्वे क्रिकेट खुश नहीं है. उसे उम्मीद थी कि तीन देशों के मुकाबले में अच्छा खासा राजस्व इकट्ठा किया जा सकता है. लेकिन सितारों की गैरमौजूदगी में कम ही लोग मैच देखने आएंगे. विश्वकप से पहले जिम्बाब्वे में कोई और बड़ा क्रिकेट मुकाबला नहीं होना है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः ए कुमार