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चॉकलेट किंग जीत की ओर

२५ मई २०१४

अरबपति चॉकलेट किंग पेट्रो पोरोशेंको ने यूक्रेन में जीत का दावा किया है. एक्जिट पोल में उन्हें विजेता दिखाया जा रहा है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति यूलिया टीमोशेंको पिछड़ गईं. आधिकारिक नतीजे आज आएंगे.

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तस्वीर: Reuters

पेट्रो पोरोशेंको ने रविवार को वादा किया कि वह रूस समर्थक अलगाववादियों के साथ जारी संघर्ष खत्म करेंगे और यूरोप के साथ साझेदारी करेंगे. एक्जिट पोल के मुताबिक पोरोशेंको को 55 फीसदी से ज्यादा मत मिल रहे हैं. जबकि प्रतिद्वंद्वी यूलिया टिमोशेंको को सिर्फ 12 फीसदी वोट मिले हैं. अगर पोल सही साबित होते हैं तो 15 जून के दूसरे दौर की जरूरत नहीं पड़ेगी. यूक्रेन में राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में अगर किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा मत मिल जाते हैं तो वह विजेता घोषित होता है. ऐसा नहीं होने पर दूसरे दौर का चुनाव होता है.

पूर्व राष्ट्रपति यूलिया टिमोशेंको
पूर्व राष्ट्रपति यूलिया टिमोशेंकोतस्वीर: Reuters

छह महीने से यूक्रेन में राजनीतिक अस्थिरता है. अब देश पश्चिम और रूस समर्थक पूर्वी अलगाववादियों में बंटा दिखता है. ये दरार और बड़ी न हो, इसके लिए राजनीतिक कोशिशें होनी बहुत जरूरी हैं. दीवालिया होने की स्थिति से निकलने, बेरोजगारी, और गृह युद्ध के कगार पर पहुंच चुके यूक्रेन को खड़ा होने के लिए मजबूत नेता की जरूरत है.

48 साल के पोरोशेंको ने कहा, "सभी सर्वेक्षणों का कहना है कि चुनाव एक दौर में ही पूरे हो गए हैं और देश को एक नया राष्ट्रपति मिलने वाला है." अपने बिजनेस के कारण पोरोशेंको की एक अरब की संपत्ति है और उन्हें प्यार से चॉकलेट किंग कहा जाता है.

यूक्रेन के पश्चिमी राज्यों में जहां भारी मतदान हुआ वहीं दक्षिण पूर्वी इलाकों में अलगाववादियों ने लोगों को मतदान के लिए नहीं जाने दिया. औद्योगिक शहर डोनेत्स्क खाली भूतहा सा लग रहा था. एक दिन पहले ही इस शहर में हिंसा के कारण 20 लोगों की मौत हुई थी. पोरोशेंको चाहते हैं कि यूक्रेन की संप्रभुता और सीमाओं के लिए लोगों में आदर हो. उन्होंने यह भी कहा कि क्रीमिया के रूस में विलय को नहीं मानेंगे.

नवंबर से ही यूक्रेन में राजनीतिक उथल पुथल चल रही है. विक्टर यानुकोविच ने यूरोपीय संघ के साथ समझौता नहीं करने के बाद ये हलचल शुरू हुई थी जो फरवरी 2014 तक तूफान में बदल गई. इसके बाद यानुकोविच यूक्रेन छोड़ कर भाग गए.

Präsidentschaftswahlen in der Ukraine Poroschenko und Klitschko 25.05.2014
पेट्रो पोरोशेंको के साथ मुक्केबाज क्लिचकोतस्वीर: Reuters

जैसे तैसे पश्चिमी हिस्से में शांति हुई तो कीव की सरकार को दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के लोगों ने मानने से इनकार कर दिया. रूस समर्थक और रूसी भाषा बोलने वाले इन लोगों की दलील है कि कीव की सरकार (अंतरिम) फासीवादी ताकतों से भरी हुई है. और इसलिए वो इसे स्वीकार नहीं करेंगे. यूक्रेन के स्वायत्त इलाके क्रीमिया में जनमत संग्रह के बाद देखते देखते उसका रूस में विलय, इन सबके बाद पूर्वी हिस्से में भारी हिंसा भड़की. वहां ठीक पश्चिमी हिस्से की ही तर्ज पर लेकिन रूस समर्थक अलगाववादियों ने सरकारी इमारतों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया. फिर हिंसा का दौर शुरू हुआ. डोनेत्स्क और लुहांस्क को पीपल्स रिपब्लिक बनाने के लिए जनमत संग्रह भी हो गया.

एक्जिट पोल के बाद इस स्वघोषित रिपब्लिक के नेताओं ने कहा है कि वह पोरोशेंको को राष्ट्रपति स्वीकार नहीं करेंगे.

एएम/एजेए (रॉयटर्स, एएफपी)