1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

यूपीए सरकार की दूसरी पारी को एक साल पूरा

२२ मई २०१०

यूपीए सरकार के केंद्र में एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उपलब्धियों को जनता के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन मंहगाई, माओवादियों के बढ़ते प्रभाव, टेलीकॉम घोटाले की गूंज से जश्न का जायका थोड़ा खराब.

https://p.dw.com/p/NUc6
तस्वीर: UNI

कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार के पहले साल में कोई खास परेशानी नहीं हुई. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "यह उपलब्धियों और संतुष्टि का साल है. लेकिन हम समझते हैं कि अभी और आगे जाना है."

Paramilitärische Sicherheitskräfte marschieren vor der ersten Phase der Landtagswahlen im indischen Bundesstaat Jharkand
तस्वीर: UNI

ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का विस्तार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा, छोटे किसानों को कम ब्याज पर कर्ज की सुविधा, महिला आरक्षण बिल का राज्यसभा में पारित होना और आई कार्ड प्रोजेक्ट (यूनीक आइडेंटिफिकेशन प्रोजेक्ट), शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए जाने को सरकार ने अपनी अहम उपलब्धियों में गिनाया है.

सुरक्षा के मोर्चे पर भारत को मुंबई के बाद से पुणे में जर्मन बेकरी को छोड़ कर किसी अन्य बड़े आतंकवादी हमले का सामना नहीं करना पड़ा है. लेकिन माओवादियों की चुनौती सरकार के माथे पर पसीना ला रही है. हाल के दिनों में माओवादियों ने सीआरपीएफ जवानों पर हमले तेज किए हैं जिसमें 110 जवानों की मौत हो चुकी है.

देश में बहस हो रही है कि माओवादियों से निपटने के लिए सरकार को क्या रणनीति बनानी चाहिए. गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बड़े जनमत की जरूरत है. विश्लेषकों का मानना है कि माओवादी समस्या से निपटने के लिए कांग्रेस में ही आमराय नहीं है इसलिए कोई ठोस रणनीति सामने नहीं आ पा रही है.

BdT Reis in Indien
तस्वीर: AP

दुनिया के कई बड़े देश वित्तीय संकट के प्रभाव से उबर रहे हैं, यूरोप ग्रीस के वित्तीय कर्ज की मार झेल रहा है और यूरो मुद्रा को बचाने के प्रयासों में जुटा है. ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी अन्य देशों की तुलना में पटरी से नहीं उतरी है और सरकार इसका श्रेय लेने का मौक़ा नहीं चूकती. लेकिन महंगाई के मुद्दे पर सरकार रक्षात्मक मुद्रा में नजर आती है और फिलहाल आम जनता को इससे निजात मिलता नहीं दिख रहा है. हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर आश्वासनों की झड़ी लगा रखी है.

कांग्रेस और उसके सहयोगी दल राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को पारित कराए जाने और शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए जाने को बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के सामने ले जाने को आतुर हैं. महिला आरक्षण बिल के राज्यसभा में पारित होने के बाद सवाल अब भी बरकरार है कि लोकसभा में बिल का क्या हश्र होगा.

Pakistan Asif Ali Zardari neuer Präsident
तस्वीर: AP

समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव, जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव और मायावती की बहुजन समाज पार्टी महिला आरक्षण बिल के मौजूदा स्वरूप में होने की पक्षधर नहीं है.

संसद में कटौती प्रस्ताव के दौरान सरकार संकट में घिरी नजर आ रही थी लेकिन विपक्ष की एकता में ऐसी सेंध लगी कि कटौती प्रस्ताव लाने वाली भारतीय जनता पार्टी को शर्मसार होना पड़ा और सरकार ने विरोध आसानी से किनारे कर दिया.

दूसरे कार्यकाल के पहले साल में सरकार को अपने कई मंत्रियों को लाल आंखें दिखानी पड़ी. आईपीएल विवाद के चलते शशि थरूर को विदेश राज्यमंत्री पद से हटा दिया गया तो चीन को लेकर गृह मंत्रालय के रुख पर टिप्पणी के मामले में जयराम रमेश भी बाल बाल बचे.

दूरसंचार मंत्री ए राजा ने सरकार की मुश्किलें बढ़ाए रखी. शर्म अल शेख में पाकिस्तान के साथ जारी हुआ साझा बयान लंबे समय तक सरकार के गले की हड्डी बना रहा तो चीन की ओर से होने वाली कथित घुसपैठ से भी सरकार परेशानी में रही.

Der frühere Außenstaatssekretär und Autor Shashi Tharoor in Neu Delhi
तस्वीर: UNI

विपक्ष ने सत्तारूढ़ गठबंधन के एक साल पूरे होने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि यूपीए का पिछला एक साल का रिकॉर्ड बताता है कि लोगों की उम्मीदों को ठगा गया है. बीजेपी का आरोप है कि विरोधियों के स्वर को शांत करने में सरकार ने सीबीआई जैसी संस्था का दुरुपयोग किया है, रणनीतिक और विदेश नीति के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार सही दिशा देने में विफल रही है.

बीजेपी नेता अरूण जेटली ने कहा, "आमतौर पर किसी भी सरकार का पहला साल बहुत आसानी से बीतता है. इस सरकार का कार्यकाल बीएसपी, एसपी और आरजेडी के अवसरवादी समर्थन से शुरू हुआ जिसके चलते सरकार को लगा मानो उसने चांद को हासिल कर लिया हो. इसके बाद से ही उसकी राजनीति में अहंकार पैदा हो गया."

विपक्ष ने अलग राज्य तेलंगाना की मांग पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लेने और बार बार फैसले बदलने पर भी सरकार की खिंचाई की है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ एस गौड़

संपादन: ओ सिंह