1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अमित शाह से एक ही सवाल पूछते हैं मोदी

२५ अक्टूबर २०१६

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी बसपा नेता मायावती को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मान रही है.

https://p.dw.com/p/2Rci4
Mayawati Mumari
तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलते हैं तो कई बार एक ही सवाल पूछते हैं, "बहनजी क्या सोच रही हैं?" उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत अहम है. वो न सिर्फ राज्य की बनारस संसदीय सीट से सांसद हैं, बल्कि आम चुनाव में पार्टी ने राज्य की 80 में से 73 सीटें जीती थीं. लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा को तगड़ी चुनौती दे रही है. मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान कहते हैं, "मायावती हमारी जीत के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.”

वो कहते हैं, "जो भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है, वो देश में प्रधानमंत्री के बाद सबसे ताकतवार राजनीतिक नेता होता है.” हालांकि 2014 के आम चुनावों में बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी. लेकिन इस बार मायावती दलितों और मुसलमानों का गठजोड़ बनाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटी हैं. कथाकथित गोरक्षकों ने मुसलमान और दलित, दोनों समुदाय के लोगों को निशाना बनाया है. गोमांस और दलितों पर हमलों की घटनाओं के कारण भी जहां भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, वहीं बसपा इन मुद्दों के सहारे जनमत को अपने पक्ष में करना चाहती है.

देखिए कहां कहां चूके मोदी

मायावती अपनी रैलियों में देश में सांप्रदायिक ताकतों के मजबूत होने की बातें बार बार कह रही हैं. साथ ही वो दलितों को लुभाने की भारतीय जनता पार्टी की कोशिशों पर भी सवाल उठाती हैं. एक रैली के दौरान उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहती हूं... दलित लड़के और लड़कियों के लिए नौकरी कहां हैं? वो कभी हमारी समस्याओं को नहीं समझ सकते.”

मायावती के सिपहसालार कहे जाने वाले सतीश मिश्रा का आरोप है कि मोदी के शासन में दलित और मुसलमान बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के ऊना में दलितों युवकों की पिटाई ने पूरे देश में दलित आंदोलन नई ऊर्जा दी है. इसका फायदा मायावती उठाना चाहती हैं.

देखिए दलितों की नई आवाज: चमार पॉप

लेकिन दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भरोसा है कि वो पारंपरिक सवर्ण वोटों के साथ साथ दलित और पिछड़ों के बीच पार्टी के लिए समर्थन जुटा सकते हैं. इसी रणनीति के तहत केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा की राज्य ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया जबकि भाजपा को उम्मीद है कि बसपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के कारण भी उसे फायदा होगा. बताता जाता है कि बीते 24 महीनों में अमित शाह ने 150 से ज्यादा बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया है.

लेकिन मायावती के तेवरों से साफ है कि भाजपा के लिए लड़ाई आसान नहीं होगी. उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी 22 फीसदी है जबकि मुसलमान 19 फीसदी. हालांकि मोदी ने गोरक्षकों के हमलों का कई बार विरोध किया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बराबर उनकी पीठ थपथपाई है. इसलिए मोदी के बयानों से पार्टी को होने वाले नुकसान की भरपाई होगी, ऐसा लगता नहीं है.

एके/वीके (रॉयटर्स)