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यूपी सरकार ने बढ़ाया किसानों का मुआवजा

१७ अगस्त २०१०

उत्तर प्रदेश सरकार ने ताज एक्सप्रेसवे के आसपास टाउनशिप के लिए खेती की जमीन देने वाले किसानों का मुआवजा 20 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है. आंदोलन कर रहे ये किसान नोएडा के बराबर मुआवजा चाहते हैं.

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तस्वीर: AP

राज्य कैबिनेट सचिव शंशाक शेखर सिंह की अगुवाई में आला अधिकारियों की एक टीम और मायावती सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों ने मंगलवार की सुबह अलीगढ़ में किसानों के नेता बाबू राम कटेरिया से बातचीत की. अलीगढ़ के वरिष्ठ एसपी सतेंद्र वीर सिंह ने पीटीआई को बताया कि सरकार की तरफ से जिस पैकेज की पेशकश की गई है उसमें 570 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा देने की बात शामिल है. यह पहले के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है.

उम्मीद है कि किसान अब राज्य सरकार की इस पेशकश को जीरकपुर गांव में होने वाली किसान पंचायत में रखेंगे और इस पर "मुहर" लगवाई जाएगी. वहीं गिरफ्तार किए गए कटेरिया को मंगलवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा. अभी वह एक प्राइवेट नर्सिंग होम में हैं. सोमवार को सेहत संबंधी कुछ शिकायतों के बाद उन्हें वहां भर्ती कराया गया.

राज्य सरकार ने डिविजनल कमिश्नर के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का फैसला भी किया है जो अलीगढ़ में नोएडा-ताज एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण से जुड़े सभी मामलों की समीक्षा करेगी. मुआवजे की रकम बढ़ाने को लेकर किसानों के आंदोलन में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है. पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में तीन किसान और एक पीएसी का जवान मारा गया है.

Mayawati
मायावती सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने किसान नेता से बातचीत कीतस्वीर: UNI

उधर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता शिव पाल सिंह यादव और राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजीत सिंह ने सोमवार को किसानों की महापंचायत को संबोधित किया और उन्होंने किसानों के आंदोलन का पूरी तरह समर्थन किया. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों से जमीन 436 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से ली जा रही है जबकि प्राइवेट बिल्डरों को यही जमीन 4,700 रुपये वर्ग मीटर के दामों पर दी जा रही है.
अलीगढ़ और आसपास के इलाकों के ये किसान पिछले तीन हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं. वह अपनी जमीन का मुआवजा उसी दर पर चाहते हैं जिस पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों को दिया गया. पिछले तीन दिन में उनका यह आंदोलन उग्र हो गया जिसके नतीजे में चार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

आठ लेन वाले 165 किलोमीटर लंबे इस हाइवे का मकसद नई दिल्ली और आगरा के बीच सफर के दौरान लगने वाले समय को कम करना है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम