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यूरोपीय चुनाव में धांधली

३ जून २०१४

हाल ही में हुए यूरोपीय संसद के चुनावों के नतीजों पर अब सवाल उठ रहे हैं. ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई लोगों ने दो बार मत दिए जिस कारण नतीजों की विश्वसनीयता को संदेह की नजर से देखा जा रहा है.

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EU Parlamentswahl 25.05.2014 Deutschland
तस्वीर: picture-alliance/dpa

चुनावों में धांधली की खबरों पर यूरोप के लोगों में गुस्सा भी है और निराशा भी. जर्मनी में संवैधानिक न्यायालय के पूर्व अध्यक्ष हंस युर्गन पापियर का कहना है कि चुनाव दोबारा कराने की स्थिति भी पैदा हो सकती है. जर्मन पत्रिका 'डेय श्पीगल' को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर जांच की जाए और नतीजों में वाकई यह देखने को मिले कि हजारों लोगों ने दो बार मत दिया है, तो "चुनावों को अवैध घोषित किया जा सकता है". इसी तरह सरकारी वकील योसेफ इजेनजे ने कहा, "इससे यूरोपीय संसद के चुनावों की पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गयी है."

दरअसल जिन लोगों के पास दोहरी नागरिकता है उन्होंने दोनों देशों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. इनमें सबसे आगे है नाम जर्मनी के प्रतिष्ठित अखबार 'डी त्साइट' के प्रमुख संपादक जिओवानी डी लोरेंसो का, जिन्होंने ना केवल जर्मन नागरिकता का इस्तेमाल करते हुए जर्मनी में मत दिया, बल्कि इटली की नागरिकता के अनुसार जर्मनी में ही इटली के दूतावास में जा कर भी मत दिया.

मुद्दा सिर्फ दो पासपोर्ट या दो नागरिकता रखने का ही नहीं है. माना जा रहा है कि करीब 80 लाख लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं. क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि कोई इटली का रहने वाला हो लेकिन फ्रांस जा कर काम कर रहा हो, लेकिन फ्रांस में उसका वोटर के तौर पर पंजीकरण नहीं हुआ हो. या तो दोनों ही तरफ की सूची में उसका नाम हो या फिर कहीं भी नहीं हो.

जर्मनी की संसद बुंडेसटाग ने इस बारे में जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति के सदस्य और ग्रीन पार्टी के फोल्कर बैक का कहना है कि अब तक इस बात के प्रमाण जमा नहीं हो पाए हैं कि "इतनी भारी मात्रा में लोगों ने दो दो बार मत डाले हों कि इससे संसद के गठन की प्रक्रिया पर असर पड़ा हो." भले ही वह समस्या को छोटा बता रहे हैं, पर साथ ही उन्होंने इस पर चर्चा करने और कड़े नियम बनाने का भी अनुरोध किया है.

यदि जांच में धांधली की बात की पुष्टि हो जाती है, तो हाल ही में हुए चुनावों को अवैध करार दिया जाएगा और ऐसे में एक बार फिर से चुनाव कराने की स्थिति बन सकती है.

आईबी/एएम (डीपीए/एएफपी)