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यूरोपीय शिखर की मेज पर लौटा संकट

२० मार्च २०१४

इस बार संकट यूरो के अस्तित्व का नहीं है, बल्कि यूरोप में शांति और स्थिरता का है. आज ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेता अपनी वसंत बैठक के लिए मिल रहे हैं. शिखर भेंट पर इस बार क्रीमिया विवाद का साया है.

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तस्वीर: Reuters

शिखर भेंट के लिए भेजे गए निमंत्रण में यूरोपीय संघ की परिषद के प्रमुख हरमन फान रोमपॉय ने लिखा है, "हमारी कार्यसूची पर सबसे अहम मुद्दा यूक्रेन की स्थिति है." रोमपॉय ने रूस में शामिल होने के लिए क्रीमिया में हुए जनमत संग्रह को अवैध और यूक्रेन के संविधान तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का हनन बताया है. दो दिनों की शिखर भेंट में यूरोपीय संघ के नेताओं को यूक्रेन की नाटकीय घटनाओं पर जवाब ढूंढना होगा.

और वह एक ओर रूस पर लक्षित होगा तो दूसरी ओर यूक्रेन पर. यूरोपीय नेता खुलकर यूक्रेन की अंतरिम सरकार का समर्थन करेंगे और भेंट के दूसरे दिन अंतरिम प्रधानमंत्री आर्सेनी यात्सेन्युक के साथ सहयोग संधि पर दस्तखत करेंगे. यह वही संधि है जिस पर तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने रूस के दबाव में आकर अंतिम समय में दस्तखत करने से इंकार कर दिया था. इसकी वजह से यूक्रेन में विद्रोह भड़का जिसका अंत वहां यानुकोविच के भागने और सत्ता परिवर्तन के साथ हुआ.

मॉस्को के प्रति रुख

गुरुवार को ही जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और ईयू के दूसरे नेताओं को मॉस्को के प्रति साझा रुख तय करना होगा. मार्च के शुरू में यूरोपीय नेताओं ने एक विशेष शिखर भेंट में क्रीमिया मुद्दे पर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बहुस्तरीय योजना तय की थी. इस बीच ईयू ने क्रीमिया के विकास के लिए जिम्मेदार रूस और यूक्रेन के 21 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. उनके खातों को सील कर दिया गया है और उनके यूरोप आने पर रोक लगा दी गई है.

Francois Hollande und Angela Merkel Disharmonie
तस्वीर: BERTRAND LANGLOIS/AFP/Getty Images

यूरोपीय धमकियों के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्रीमिया को रूस में शामिल करने की प्रक्रिया आगे बढ़ रहे हैं. अब यूरोपीय नेताओं को तय करना होगा कि क्या वे और रूसी नेताओं पर प्रतिबंध लगाएंगे. अब तक उन्होंने नेतृत्व को नहीं छुआ है ताकि कूटनीति का रास्ता खुला रहे. लेकिन यहां कोई प्रगति नहीं हो रही. शिखर भेंट से पहले रोमपॉय को पुतिन से मिलने मॉस्को जाना था, लेकिन यह भेंट नहीं हुई. संभव है कि यूरोपीय नेता प्रतिबंधों का तीसरा चरण शुरू करें, रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाकर.

आर्थिक प्रतिबंधों की लपट

लेकिन इसके लिए ईयू के नेताओं को एकमत होना होगा कि रूस यूक्रेन के रूसी बहुल पूर्वी हिस्से में अस्थिरता फैला सकता है. इसके अलावा रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों की लपट यूरोपीय देशों को भी झेलनी होगी. बाल्टिक के देश कड़ी प्रतिक्रिया की मांग कर रहे हैं तो जर्मनी कूटनैतिक समाधान की विफल कोशिश कर रहा है. रूसी निवेशकों पर निर्भर साइप्रस जैसे देश आर्थिक प्रतिबंधों के खिलाफ हैं. कुछ दूसरे देश भी रूसी गैस और तेल पर निर्भरता के कारण दुविधा में हैं.

इसलिए शिखर भेंट में ऊर्जा आयात पर यूरोपीय संघ की निर्भरता की अलग से चर्चा होगी. एक यूरोपीय उच्चाधिकारी का कहना है कि समस्या काफी समय से ज्ञात है और उसमें और बिगाड़ हो सकता है, "अगर हम कदम नहीं उठाते हैं तो 2035 तक हमारी निर्भरता 80 फीसदी हो जाएगी." यूक्रेन विवाद के कारण वित्तीय संकट की स्थिति में बैंकों को बंद करने, बैंक गोपनीयता समाप्त करने और भावी पर्यावरण लक्ष्यों पर फैसले पृष्ठभूमि में जा सकते हैं.

एमजे/आईबी (एएफपी)