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यूरोपीय संघ पर फ्रांस ने रखा अपना पक्ष

२७ सितम्बर २०१७

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने ईयू के सदस्यों से ऐसे रुख की अपील की है जिसके साथ संघ में बदलाव किए जा सकें. माक्रों ने मौजूदा स्वरूप में बदलावों के लिए जर्मनी से इस साझेदारी में शामिल होने को भी कहा है

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Frankreich Emmanuel Macron, Präsident | Präsentation Europäische Initiative in Paris
तस्वीर: Reuters/L. Marin

फ्रांस की सोरबोन यूनिवर्सिटी में जर्मन चुनावों के महज दो दिन बाद छात्रों और प्रमुख लोगों को संबोधित करते हुए माक्रों ने कहा कि यूरोप का निर्माण लोगों से दूर जाकर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, "दोनों ही देश, अन्य साझेदारों के साथ मिलकर यूरोपीय संघ में जरूरी बदलाव ला सकते हैं." माक्रों ने यूरोपीय संघ को और मजबूत बनाने का वादा किया ताकि ब्रिटेन के बाहर जाने से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. माक्रों ने फ्रांस में पहले ही एक आक्रामक नवउदारवादी एजेंडे पर काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, "हम अभी जिस यूरोप में रह रहे हैं वह वैश्वीकरण के जोखिमों को बर्दाश्त करने में बेहद नाजुक साबित हो रहा है और यह राष्ट्रवाद और अस्मितावाद जैसे विचारों का शिकार बन रहा हैं." 

यूरोपीय देशों में दक्षिणपंथ के उभार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल पुराने विचारों को पनपने का मौका दे रहा है जो एक बड़ा खतरा है. माक्रों ने संप्रभुता, एकजुटता और लोकतांत्रिक तौर तरीको पर बल दिया साथ ही यूरोपीय सुरक्षा, यूरोजोन गवर्नेंस और कर सामंजस्य पर अपने विचार पेश किए. आर्थिक मसलों पर जहां जर्मनी अधिक संप्रभुता बहाल करने पर अनिच्छुक नजर आता है तो वहीं माक्रों, खास कर से वित्तपोषित एक मजबूत यूरोजोन बजट का तर्क पेश करते हैं.

माक्रों का मानना है कि निवेश को प्रोत्साहन देने और किसी भी प्रकार के वित्त संकट का सामना करने के लिए हमें एक मजबूत बजट की जरूरत है. हालांकि जर्मन चांसलर मैर्केल पहले ही यह साफ कर चुकी हैं कि वह यूरोजोन बजट के मूल विचार का समर्थन करतीं हैं लेकिन वह इस बजट को छोटा रखने के पक्ष में हैं. हालांकि माक्रों को मैर्केल का समर्थन मिलता रहा है लेकिन जर्मनी में आम चुनाव परिणामों से माक्रों की योजनाओं को जरूर धक्का लगा है. जर्मन चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी संसद की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जिसका शरणार्थी मसले और साझा मुद्रा यूरो को लेकर बेहद नकारात्मक रुख रहा है.

माक्रों ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों और कंपनियों के बीच कॉरपोरेट टैक्स को लेकर छिड़ी प्रतिस्पर्धा पर भी आशंका जताई, साथ ही करों का बोझ कम करने और इनसे निपटने के लिए रणनीतियों पर जोर दिया. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि साल 2020 के लिए निर्धारित अगले यूरोपीय बजट में कॉरपोरेट टैक्स की अधिकतकम और न्यूनतम दरों को तय किया जाना चाहिए. विश्लेषकों के मुताबिक यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर जर्मनी और फ्रांस राजी हो सकते हैं. माक्रों ने कहा, "इसलिए मैं जर्मनी को इस नई भागीदारी का प्रस्ताव देता हूं और जिन विषयों पर मैंने अभी चर्चा की है उन पर हम एक निर्णायक और ठोस फ्रैंको-जर्मन शुरूआत कर सकते हैं."

जर्मनी की प्रतिक्रिया

माक्रों के इस फैंक्रो-जर्मन प्रस्ताव पर जर्मनी की ओर से भी प्रतिक्रिया आने में देर नहीं लगी. जर्मनी में नई सरकार की भावी सदस्य दिख रही एफडीपी पार्टी के नेता और यूरोपीय संसद के सदस्य अलेक्जांडर ग्राफ लाम्ब्सडॉर्फ ने ईयू सैन्य सहयोग, डिजिटाइजेशन पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति के प्रस्तावों का स्वागत किया, लेकिन माक्रों के संयुक्त यूरोजोन बजट प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया. उन्होंने माक्रों के भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि वह बेहद ही साहसी भाषण था लेकिन एफडीपी उनके सभी प्रस्तावों का समर्थन नहीं करती. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यूरोप में समस्या सार्वजनिक वित्त की कमी नहीं है बल्कि यहां कमी सुधारों की है." नई संसद में विपक्ष में बैठने वाली पार्टी एसपीडी के नेता और वर्तमान विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल के मुताबिक माक्रों ने राष्ट्रवाद के खिलाफ बेहद ही आवेशपूर्ण तर्क दिए हैं. गाब्रिएल ने कहा, "केवल आम समाधानों के साथ ही हम यूरोप के बारे में फिर से यूरोप में लोगों को प्रेरित कर सकते हैं"

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अपनी एक महत्वाकांक्षी रिपोर्ट में श्रम बाजार के लचीलेपन को अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अहम बताया हैं. फोरम की रिपोर्ट माक्रों द्वारा सुझाये गये प्रस्तावों का समर्थन करती है.

एए/एनआर (डीपीए, एएफपी, एपी)