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यूरोप में डाटा सेविंग खारिज

८ अप्रैल २०१४

कानून व्यवस्था के नाम पर यूरोपीय देश लोगों के इंटरनेट और फोन डाटा को सेव नहीं कर पाएंगे. यूरोपीय संघ की शीर्ष अदालत ने लोगों के नेट और फोन के डाटा को दो साल तक सुरक्षित रखने वाले विधेयक को खारिज कर दिया.

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Diskussion um Vorratsdatenspeicherung
तस्वीर: picture-alliance/dpa

लक्जमबर्ग में यूरोपीय न्यायालय ने कहा कि डाटा संभालने वाले विधेयक की नियमावली में नागरिकों के पास खुद की सुरक्षा के बहुत कम उपाय हैं. कोर्ट ने आशंका जताई कि प्रशासन के ऐसे कदमों से "लोगों का निजी जीवन लगातार निगरानी के दायरे में रह सकता है."

यूरोपीय संसद का तर्क था कि संदिग्धों की निगरानी से आतंकवादी गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है और इसके लिए डाटा सुरक्षित रखना जरूरी है. लेकिन अदालत से मिले झटके के बाद ईयू को नए सिरे से विधेयक बनाना होगा. विधेयक ऐसा होना चाहिए कि अपराधी सूचना तकनीक की मदद से घेरे में आ जाएं और डाटा सेविंग के दुरुपयोग की आशंका भी कम हो.

मंगलवार को कोर्ट के फैसले के बाद जर्मनी के गृह मंत्री थोमास दे मेजियर ने कहा, "गंभीर अपराधों की जांच के लिए डाटा लेना ही पड़ता है और यहीं मुश्किल बनी हुई है." यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों में जर्मनी सबसे ज्यादा आबादी वाला मुल्क है. जर्मनी ने घरेलू चुनौतियों के बावजूद नागरिकों के डाटा को इस तरह लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जाता.

Jan Philipp Albrecht Europäisches Parlament
यान फिलिप अलब्रेख्टतस्वीर: picture-alliance/dpa

2006 के विधेयक के मुताबिक टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को कॉल और ऑनलाइन कम्युनिकेशन डिटेल के आंकड़े छह महीने से दो साल तक संभालने होते थे. इन आंकड़ों से पता चलता था कि एक व्यक्ति किन लोगों से जुड़ा है. वो कहां कहां गया, वहां जाकर उनसे किससे कितनी देर बातचीत की. हालांकि क्या बातचीत हुई, यह नहीं बताया जाता था.

शीर्ष अदालत ने कहा, विधेयक भले ही न बताए कि क्या बातचीत हुई लेकिन इसके बावजूद यह "निजी जिंदगी के बारे में बहुत ही सटीक जानकारी" देता है. यह रोजमर्रा की आदतों के साथ सामाजिक रिश्तों की भी जानकारी देता है. अदालत के मुताबिक ये "मौलिक अधिकारों के साथ गंभीर छेड़छाड़ है."

यूरोपीय संसद में ग्रीन पार्टी के जर्मन सांसद यान फिलिप अलब्रेख्ट ने अदालत के फैसले को यूरोप में नागरिक अधिकारों की बड़ी जीत करार दिया. उनके मुताबिक एजेंसियां डाटा जमा करने के बावजूद कानून व्यवस्था में किसी तरह का सुधार करने में नाकाम हुईं. जर्मनी में बीते हफ्ते सबसे बड़ी साइबर चोरी का मामला सामने आया है. जांचकर्ताओं के मुताबिक हैकरों ने 1.8 करोड़ लोगों के पासवर्ड और ईमेल एड्रेस चुराए हैं. बीते साल भी वोडाफोन जर्मनी के डाटा में हैकरों की सेंध लगी. अदालत ने विधेयक का पक्ष लेने वालों से पूछा कि इतना डाटा जमा करने के बाद उसे 100 फीसदी सुरक्षित रखने की क्या गारंटी है. इस सवाल का जबाव बचाव पक्ष नहीं दे सका.

ओएसजे/एजेए (एपी)