1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

यूरोप में बुर्के और नक़ाब पर लगते बैन

२३ अप्रैल २०१०

जान कर हमें खुशी होती है कि हमारे श्रोता नियमित रूप से हमारी वेबसाइट पर जाकर, लेखों को पढ़कर अपने विचार हमें लिखते हैं. हाल ही के कार्यक्रम वेस्ट वॉच, अंतरा, तथा खोज पर श्रोता लिखते हैं....

https://p.dw.com/p/N4Om
तस्वीर: AP

बेल्जियम में आतंरिक मामलों की एक समिति ने बहुमत से बुर्के और नक़ाब पर बैन लगाने को मंज़ूरी फ़िलहाल गले नहीं उतर रही है,बेल्जियम की संसदीय समिति ने भले ही अनुमति दे दी हो और वहां की संसद इसे पास भी कर दे लेकिन वास्तव में ये मुस्लिम महिलाओं की भावना के साथ न्याय न होगा. इस बाबत मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के एक वरिष्ठ यूरोपीय शोधकर्ता जुडिथ सनडरलैंड की इस बात से हम भी सहमत हैं कि इस तरह की पाबंदियां ख़तरनाक़ साबित हो सकती है. कुछ इसी तरह की रोकथाम पर फ़्रांस भी विचार कर रहा है. अगर इन देशों को बुर्के से इतना ही परहेज है तो अपने देश में आने वाली महिलाओं को वीज़ा जारी करते समय ही हिदायत दे दें देश में आने के बाद इस तरह के कानून का मतलब और तर्क दोनों ही समझ से परे है.

रवि श्रीवास्तव, इन्टरनेशनल फ़्रेन्ड्स क्लब-इलाहाबाद, (उत्तर प्रदेश)

***

DW की वेब साइट पर दो तीन दिनों से एक ब्रिटिश महिला के सिर दर्द के बारे में पढ़ रहा हूं,जो चीनी लहजे में बात करती है. मुझको तो इस खोज में कोई विशेषता नजर नहीं आती. यह तो सामान्य बात है. यदि वह चीनी लहजे के बदले चीनी भाषा में बात करती, तब यह खास बात होती.

चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी,जिला बिलासपुर, (छत्तीसगढ़)

***

वेस्ट वॉच में हंगरी में हाल ही में संपन्न प्रथम एवं दूसरे चरण के चुनाव के संबंध में विस्तार से अवगत होने का मौका मिला. लगता है कि हंगरी में राजनितिक अस्थिरिता जारी रहेगी जिसे दूर होने में काफी समय लगेगा. हंगरी के आर्थिक पिछड़ेपन का मूल कारण भी यही है.

अतुल कुमार, राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब, सीतामढ़ी, (बिहार)

***

अंतरा में जर्मनी में तुर्क मूल की महिला इगुल ने जो लोकप्रियता हासिल की है, जर्मन लोगों का जो विश्वास जीता है उसके बारे में विस्तार से जानने को मिला और साथ में सोनिया गांधी, मेडेलिन ऑलब्राइट जैसी महिलाओं के बारे में जानने को मिला जो अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में लोकप्रिय हुई हैं.

सविता जावले, मारकोनी डीएक्स क्लब, पर्ली वैजनाथ, (महाराष्ट्र)

***

मैच प्वाइंट में वर्ल्ड की महत्वपूर्ण न्यूज़ पाने के बाद जाना कि फुटबाल कप में मेज़बान देश को क्यों फायदा होता है. मेरे विचार में उस देश के खिलाड़ी जलवायु से परिचित होते है साथ ही घरेलू दर्शकों का साथ भी मिलता है. मैच प्वाइंट प्रोग्राम खेल में रूचि रखने वालों के लिए एक अच्छा प्रयास है.

उमेश कुमार शर्मा, स्टार लिस्नर्स क्लब, नारनौल, (हरियाणा)