1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

यूरो का भाव गिरा, बाज़ार में चिंता

१५ मई २०१०

यूरोप में कर्ज़ संकट ने अमेरिकी वाल स्ट्रीट को फिर से अपनी गिरफ़्त में ले लिया है. शु्क्रवार को अमेरिकी शेयर घाटे में बिके तो यूरोपीय मुद्रा यूरो की दर डॉलर के मुक़ाबले 1.24 से नीचे चली गई.

https://p.dw.com/p/NOcp
डॉलर के मुक़ाबले यूरो कमज़ोरतस्वीर: RIA Novosti

शेयरों के भाव में कमी की एक वजह यह भी रही कि मिशीगन विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया जाने वाला उपभोक्ता माहौल सूचकांक मई में उम्मीद से ख़राब रहा था. शेयर का कारोबार करने वालों में यह चिंता बढ़ती जा रही है कि यूरोपीय कर्ज़ का संकट और बढ़ जाएगा और आने वाले सप्ताहों में अमेरिकी बाज़ारों पर भी असर डालने लगेगा.

Devisen Euro Dollar Währung Wechselkurs
तस्वीर: AP

डाव जोंस औद्योगिक औसत 1.51 फ़ीसदी गिरकर 10,620 अंक पर पहुंच गया. सोमवार को यूरोपीय वित्तीय रक्षा पैकेज तय किए जाने के बाद वह चढ़कर 10,785 अंक पर पहुंच गया था. एसएंडपी सूचकांक में 1.9 फ़ीसदी की कमी हुई तो नैसदेक़ सूचकाकं 1.97 फ़ीसदी गिरा.

शेयर ब्रोकरों ने कमज़ोर यूरो को भी बाज़ार में व्याप्त असुरक्षा का संकेत बताया. शुक्रवार को यूरोपीय मुद्रा 1.24 अमेरिकी डॉलर के मार्के के भी नीचे चली गई और अक्टूबर 2008 के बाद के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई.

अमेरिकी व्यापारियों की चिंता यह है कि डॉलर के मजबूत होने से संकट से उबरती अर्थव्यवस्था फिर से मुश्किल में पड़ सकती है. मजबूत डॉलर का मतलब अमेरिकी नागरिकों के लिए यूरो क्षेत्र के 16 देशों में सस्ती यात्रा होगा, लेकिन इससे अमेरिकी निर्यात को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि अमेरिकी माल इन बाज़ारों में महंगे हो जाएंगे.

एक ओर वाल स्ट्रीट पर शेयरधारक यह सवाल पूछ रहे हैं कि यूरोपीय नेता किस तरह आर्थिक प्रगति दर को जारी रखेंगे तो जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भावी बचत कार्यक्रम के लिए लोगों का समर्थन जीतने का प्रयास शुरू कर दिया है. एक ईसाई सम्मेलन के मौके पर भागीदारों को संबोधित करते हुए उन्होंने भारी बचत का आह्वान किया और कहा कि जर्मनी अपनी हैसियत से बेहतर जीवन गुजर करता रहा है.

जर्मनी के प्रमुख अर्थशास्त्री बोफ़िंगर ने अत्यधिक बचत के ख़िलाफ़ चेतावनी दी है और कहा है कि ख़तरा इस बात का है कि यूरोपीय देश अपने आर्थिक विकास को नष्ट कर देंगे. उन्होंने यूरोपीय स्तर पर राष्ट्रीय बचत कार्यक्रमों के समन्वय की मांग की.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़